हिरण एक ऐसा जानवर है जो जंगल में हर तरह के जानवरों से भयभीत रहता है. वह दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन दूसरे उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं वह इसके बारे में हमेशा सोचता है. लेकिन भारत में एक समुदाय ऐसा है जो न केवल हिरण को खतरों से बचाता है बल्कि उन्हें अपने परिवार का हिस्सा भी मानता है. हम इसे बिश्नोई समुदाय के नाम से जानते हैं जो राजस्थान के दूर दराज इलाके में रहता है.
आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस समुदाय में महिलाएं न केवल हिरण के बच्चे को अपने स्तन से दूध पिलाती हैं बल्कि उसके खाने-पीने, रहने, स्वास्थ और सुरक्षा का भी ख्याल रखती हैं. यह बात बाहर के लोगों के लिए चौकाने वाला विषय होगा लेकिन बिश्नोई समुदाय के लिए जानवर उनके परिवार का सदस्य है. इस समुदाय के लोग कुदरत और उससे बनी चीजों को अपना धर्म मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं.
45 साल की मांगी देवी बिश्नोई कहती हैं – ‘यह छोटा सा हिरण मेरी जिंदगी है, मैं इसे अपने बच्चे की तरह प्यार देती हूं.’ वह आगे कहती हैं- ‘मैं इसे अपना दूध पिलाती हूं और खाना खिलाती हूं, मैं इस बात का भी ध्यान रखतू हूं कि घर में इसे सही तरह से प्यार मिल रहा है या नहीं.’ अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मांगी कहती हैं – ‘जब तक हम इनके साथ हैं ये आनाथ नहीं हैं, इनके पास मां है जो इनकी हर चीजों का ख्याल रखती हैं.’
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21 साल की रोशनी बिश्नोई एक विद्यार्थी भी हैं. वह कहती हैं – ‘मैं इन्ही हिरण के बच्चों के साथ पली-बढ़ी हूं, ये मेरे भाई-बहन की तरह हैं, ये हमारी जिम्मेदारी है कि ये स्वस्थ रहने के साथ खुश भी रहे.’ रोशनी आगे कहती हैं- हम इनके साथ खेलते हैं, हम एक-दूसरे की भाषा को भी समझते हैं.’
2000 घरों वाला यह समुदाय 15वीं शताब्दी से हिंदू गुरु श्री जाम्बेश्वर भगवान! को मानता आया है. इस समुदाय के लोग अपने गुरु द्वारा सुझाव दिये गए 29 नियमों का अनुसरण करते हैं. इस समुदाय के लोग हिरण को एक पवित्र पशु मानते हैं. इसलिए उसकी हर चीजों का ध्यान रखते हैं…Next
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