शादी संपन्न हो चुकी है, विदाई की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है, सभी बाराती वापस जाने के लिए तैयार हैं, दुल्हा बेचैन हो रहा है पर दुल्हन को अभी एक महत्वपूर्ण काम पूरा करना है. नहीं, यह महत्वपूर्ण काम रो-रोकर अपने माता-पिता, भाई-बहनों, रिश्तेदारों और दोस्तों से अंतिम विदाई नहीं लेनी है बल्कि उसे ‘बीए’ की परीक्षा देनी है जो कि शादी के अगली सुबह ही है.
यह घटना है राजस्थान के बालेसर क्षेत्र की. शादी के जोड़े में दुल्हन, संतोष प्रजापत का दूल्हे ओमाराम को इंतजार करता छोड़ परीक्षा केंद्र में पहुंचना सारे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है. संतोष के लिए इस तरह परीक्षा केंद्र में पहुंच पाना इतना भी आसान नहीं रहा. जिस दिन संतोष की विदाई थी उसी दिन उसकी बीए की परीक्षा भी थी. घर में संतोष की विदाई की तैयारियां चल रही थी पर संतोष अपनी विदाई से पहले बीए की परीक्षा लिखना चाहती थी जिसके लिए घरवाले राजी नहीं थे.
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संतोष की जिद के आगे घरवालों को झुकना पड़ा. बातचीत के लिए दूल्हा ओमाराम और अन्य रिश्तेदारों को बुलाया गया. काफी देर तर्क-वितर्क के बाद दूल्हा अपनी दुल्हन को साथ ले जाने से पहले कुछ देर और इंतजार करने के लिए मान गया. ओमाराम सहित अन्य बरातियों के तीन घंटे और इंतजार करने के लिए मान जाने के बाद संतोष शादी के जोड़े में ही अपनी बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के लिए परीक्षा केंद्र पहुंची. परीक्षा केंद्र में फर्स्ट बेंच पर बैठी संतोष, सबके आकर्षण का केंद्र बनी रही. लोग संतोष के साहस और पढ़ाई के प्रति लगन से काफी प्रभावित हुए. कई लोग उसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.
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वहीं संतोष का कहना है कि अगर वह परीक्षा न दे पाती तो उसकी एक साल की मेहनत बरबाद हो जाती. संतोष के अनुसार वह आगे भी पढ़ना चाहती है और जिंदगी में कुछ बनने की ख्वाहिश रखती है.Next…
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