किसानों की आत्महत्या की खबरें पढ़कर, देखकर, सुनकर देश के उस वर्ग के मन में जिसका खेत और खेती से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है जाने-अनजाने ऐसी छवि बन गई है कि हमारे देश का किसान वर्ग बेहद संवेदनशील और कमजोर इच्छाशक्ति का है जो छोटी-छोटी बात पर खुदकुशी कर लेता है. केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह का हालिया बयान कि कई किसान प्रेम-प्रसंग और नपुंसकता के कारण आत्महत्या कर लेते हैं, इसी मानसिकता की परिचायक है. लेकिन यह तस्वीर किसानों के प्रति ऐसी सोच रखने वाले को करारा जवाब है.
यह तस्वीर है बुंदेलखंड के किसान देवराज सिंह की. पिछले 40 सालों से देवराज सिंह अपने एक पैर के सहारे ही हल जोत रहे हैं. यही नहीं तीन साल पहले साहूकार से लिए गए कर्ज का ब्याज भी चुका रहे हैं जो कि बेहद अधिक है. तीन साल पहले क्षेत्र में सूखा पड़ने के कारण देवराज को साहूकार से 25 हजार कर्ज लेना पड़ा था. साहूकार 5 रुपए सैकड़ा के हिसाब से प्रतिमाह कर्ज की रकम पर साढ़े बारह सौ रुपए का ब्याज वसूलता है. देवराज अबतक कर्ज तो नहीं चुका पाएं हैं लेकिन ब्याज की रकम वे नियमित रूप से चुका रहे हैं.
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40 साल पहले खेत जोतते हुए वह बैल के हमले का शिकार हो गए थे. भीतरी चोट होने के नाते डॉक्टरों को उनका पैर काटना पड़ा था. तभी से वह एक पैर की जगह लाठी बांधकर अपने खेत में हल चला रहे हैं. देवराज बताते हैं कि उन्हें हादसे की गंभीरता का अंदाजा नहीं था. चोट लगने के बाद वह घरेलू इलाज करते रहे जबकि पैर भीतर से गलता रहा. छह महीने बाद दर्द असहनीय होने पर वह डॉक्टर के पास गए, तब पता चला कि उनका पैर भीतर से सड़ चुका है. इसके बाद डॉक्टरों ने उनका एक पैर काटकर अलग कर दिया.
इस तस्वीर को अपनी फेसबुक पर साझा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर बताते हैं कि देवराज के पास 4 बीघा जमीन है जिसपर खेती करके वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. देवराज के दो बेटे और एक बेटी हैं. कुछ साल पहले उन्होंने अपनी बेटी सुनीता की शादी की है. बड़े बेटे ने शादी के बाद अपने पिता से संबंध खत्म कर लिया है जबकि छोटा बेटा बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा है. देवराज के साथ यह हादसा तब हुआ था जब वे तकरीबन 20 साल के थे. आज उनकी उम्र 65 साल है लेकिन आर्थिक मजबूरियां ऐसी कि उम्र के इस पड़ाव में ऐसी हालत में भी उन्हें हल जोतना पड़ रहा है.
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एक पैर के कट जाने के बाद कई दिनों तक देवराज सोचते रहे कि अब वे कैसे खेती करेंगे और यदि खेती नहीं करेंगे तो परिवार कैसे पलेगा. फिर उन्हें एक विचार आया, वे अपनी कमर से एक लाठी बांधकर खेत जोतने चल निकले. कई बार गिरे, चोट भी खाई लेकिन समय के साथ वे इस तरह पैर के साथ लाठी बांधकर हल जोतने में अभयस्त हो गए. तस्वीर में जो उनके साथ व्यक्ति दिखाई दे रहा है वे देवराज के भाई बलबीर यादव हैं. बलबीर पोलियो के शिकार हैं.
देवराज को सरकार की तरफ से मात्र 300 रूपए महीने की विकलांग पेंशन मिलती है. देवराज बताते हैं कि वे बैंकों द्वारा दिए गए क्रेडिट कार्ड के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते. वे कहते हैं कि बैंक के दलालों से उलझना उनके बस की बात नहीं. देवराज इस बात को सीना तानकर कहते हैं कि सभी परेशानियां सहकर भी उन्होंने आत्महत्या नहीं की.
देवराज का हौसला बताता है कि हमारे देश के किसानों में कैसी फौलादी इच्छाशक्ति है. अगर इस वर्ग के 5,650 लोग आत्महत्या कर लेते हैं (सरकारी आंकड़ों के अनुसार) तो यह कल्पना के पार है कि मृत्युपूर्व वे किस भयानक पीड़ा से गुजरते होंगे. Next…
(सभी तस्वीरें आशीष सागर की फेसबुक वाल से )
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