एक वक्त था जब गुरु भगवान माने जाते थे. स्कूल भेजकर मां-बाप बच्चों की तरफ से कुछ हद तक चिंता मुक्त हो जाते थे. उन्हें स्कूल और टीचर्स पर भरोसा होता था कि वे बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे और किताबी ज्ञान के साथ भविष्य के लिए उन्हें एक अच्छा इंसान भी बनाएंगे. आज न वह वक्त है, न वैसे स्कूल और शिक्षक. कल तक जिन बच्चों के लिए गुरु भगवान थे आज वही गुरु उनके भविष्य के लिए काला अध्याय बन रहे हैं. स्टैनफोर्ड की स्कूल टीचर का अपने 18 साल के स्टूडेंट के साथ यौन संबंध बनाने और उसका शोषण करने की कहानी इसकी एक तस्वीर है. पर यह एकमात्र कहानी नहीं है. ऐसी कई कहानियां आज आम है. लगभग हर देश में, हर शहर में ऐसी कोई न कोई कहानी जरूर सामने आती है.
किसी भी देश और समाज के लिए बच्चे उसका भविष्य हैं. भविष्य की इस निधि को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता लेकिन बाल और किशोर यौन-शोषण की बढ़ती घटनाएं इस भविष्य-निधि को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पहले सिर्फ लड़कियों के यौन-शोषित होने का डर होता था लेकिन आज लड़कों के यौन-शोषण की घटनाएं भी आम हैं. किशोर या वयस्क होते बच्चों के कोई नजदीकी संबंधी या कोई शिक्षक-शिक्षिका ही उसके शोषण के लिए जिम्मेदार होते हैं.
स्टैनफोर्ड की एक स्कूल टीचर डैनियल वाटकिन्स ने अपने एक 18 वर्षीय स्टूडेंट के साथ स्कूल के दौरान ही अपनी कार में यौन-संबंध बनाया. बाद में जब स्टूडेंट ने इसके लिए मना किया तो उसने उसे टॉर्चर भी किया. डैनियल दो बच्चों की मां है. उसने अपने इस स्टूडेंट से 8 महीने अफेयर चलाया. बाद में रिलेशनशिप तोड़ने के लिए कहने पर उसने स्टूडेंट को फेल करने की धमकी दी.
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स्टैनफोर्ड पुलिस के अनुसार 32 साल की डैनियल पिछले 9 सालों से ‘स्टैनफोर्ड हाई स्कूल’ में इंगलिश की टीचर हैं. शारीरिक शोषण तथा अन्य आरोपों के साथ महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है. स्टूडेंट का आरोप है कि रिलेशनशिप से मना करने पर टीचर ने उसे न्यूड फोटोज भी भेजे. डरे हुए किशोर ने स्कूल काउंसलर को यह बात बताई जिन्होंने ‘डिपार्टमेंट ऑफ चिल्ड्रेन एंड फैमिलीज’ और ‘बोर्ड ऑफ एडुकेशन’ को मामले की जानकारी दी. तब जाकर कहीं इसका खुलासा हुआ.
एक स्थानीय न्यूज पेपर के अनुसार स्कूल के अहाते में बाहर की ओर खड़ी कार में वाटकिन्स ने कई बार किशोर से यौन-संबंध बनाए. पर 8 महीने बाद जब उसने इसके लिए मना किया तो वाटकिन्स ने उसे किसी और की तरफ आकर्षित होने और रिश्ता तोड़ने पर फेल करने की धमकी दी. इतना ही नहीं रिलेशनशिप के दौरान यह जानते हुए भी कि मात्र 18 साल के उस किशोर के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, उसने उसे अपनी कार भी ड्राइव करने दी.
यह कहानी भले ही स्टैनफोर्ड की हो लेकिन ऐसी कई कहानियां आए दिन सुनने में आती रहती हैं. कई ऐसी भी कहानियां हैं जो बाहर भी नहीं आ पातीं. शोषित किशोर या किशोरी मानसिक दबाव में डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं. उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और वे भविष्य में कुछ भी कर पाने में सक्षम नहीं हो पाते. कई बार अवसाद के शिकार ये बच्चे आत्महत्या भी कर बैठते हैं. ऐसे में मां-बाप भी पछताते हैं कि आखिर उन्होंने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया. हालांकि यहां मां-बाप की गलती नहीं है बल्कि हर कल्चर में वर्षों से चली आ रही गुरु-शिष्य परंपरा का विश्वास है. खेद की बात यह है कि अब इसकी विश्वसनीयता खतरे में आ गई है.
किसी भी देश और समाज के भविष्य के लिए यह बेहद खतरनाक है. हालांकि व्यक्तिगत रूप से यह व्यक्ति की नैतिक समझ से जुड़ा हुआ मामला है, इसलिए इसे रोकना संभव तब तक नहीं हो सकता जब तक व्यक्ति अपनी नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह ईमानदार न हो. आज के समय में हर किसी में इस समझ की उम्मीद नहीं की जा सकती. इसलिए किशोर-किशोरियों को ऐसे मामलों से सतर्क रहने के लिए मां-बाप को ही उनमें एक नैतिक समझ शुरुआत से ही पैदा करनी चाहिए. कम से कम वे दूसरों के बहकावे में आकर अपने भविष्य से खिलवाड़ तो नहीं करेंगे.
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