बच्चे किसे प्यारे नहीं होते. अगर आप का बच्चा है तो आप भी उसे दिलो जान से प्यार करते होंगे. उस बच्चे की छोटी से छोटी ख्वाहिश पूरी करने में आपको बेइंतहा खुशी होती है. आप चाहते होंगे कि कैसे भी अपने बच्चे की जिद पूरी कर सकें ताकि उसका सुंदर मुखड़ा चमकता नजर आए. और आपकी कोशिश रंग लाती है बच्चा अपनी जिद को पूरा करवा कर बेहद खुशी से भर जाता है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि बच्चे की हर जायज-नाजायज मांग पूरी करके उसकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे होते हैं.
एक बार जब बच्चे की डिमांड पूरी हो जाती है वह अन्य मांगों को भी इसी तरह पूरा करवाने का तरीका सीख जाता है. कई बार आप शायद असहज स्थिति में अपने को महसूस करें जब आपका बच्चा किसी ऐसी मांग की जिद पकड़ ले जिसे पूरा करना आपके लिए मुश्किल हो या वह मांग सामान्य सामाजिक मानदंडों के विरुद्ध हो. इसलिए आपको ये हमेशा ध्यान रखना होगा कि आप कोई भी मांग बस यूं ना पूरी करें जब तक कि आपको ये ना लगे कि वह मांग पूरी करने से बच्चे का स्वस्थ विकास सुनिश्चित होगा. हॉ, अगर कोई मांग नाजायज लगे तो आप किसी भी हालत में उस मांग को पूरी करने की कोशिश ना करें क्योंकि आपकी ये कोशिश बच्चे को खतरनाक राह पर ले जाएगी.
अकसर धनाड्य वर्ग अपने बच्चों की हर ख्वाहिशें पूरी करने में अपनी शान समझता है. चूंकि धन की कमी आड़े नहीं आती इसलिए उनके लिए जायज-नाजायज कैसी भी मांग पूरी करने में कोई आर्थिक समस्या तो आती नहीं. लेकिन इन सबका बच्चे के विकास पर नकारात्मक असर होता है. बच्चा जिद्दी, गैर-सहनशील, अधैर्यशाली और हिंसक होने लगता है.
शायद आपको बच्चे के अंदर जन्म ले रही बुरी प्रवृत्तियों का संज्ञान नहीं हो पाए क्योंकि आप का ज्यादा ध्यान बच्चे की हर खुशी पूरी करने पर होता है और जब तक आपको इसकी भनक लगती है तब तक मामला हाथ से निकल चुका होता है.
ध्यान रहे जीवन संवारने का अर्थ केवल बच्चे को अच्छी शिक्षा मुहैया कराना और उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने योग्य बना देना ही नहीं है बल्कि इसका अर्थ कहीं व्यापक है. जब तक आप बच्चे को एक अच्छा इंसान नहीं बना देते तब तक आपकी परवरिश अधूरी है. इसलिए अपने बच्चे के लालन-पालन में कुछ नैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों का समावेश अवश्य करें.
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