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3-4 साल के बच्चों में भी बढ़ रहा है डिप्रेशन का खतरा, पेरेंट चाइल्ड इंट्रेक्शन थेरेपी के बारे में फैलाई जा रही है जागरूकता

आधुनिक जीवनशैली में बच्चों को एक अच्छी परवरिश देना किसी चुनौती से कम नहीं है। शहरों में तो बच्चों की देखभाल करना और भी मुश्किल है। जब मां-बाप दोनों ही वर्किंग हो, तो घर में किसी करीबी या मेड के सहारे बच्चों को छोड़ना पड़ता है। ऐसे में बच्चों के मन में क्या चलता है, इस बात का अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी किसी बच्चे के मां-बाप हैं, तो आपको अपने बच्चे की मनोस्थिति और उसकी हरकतों पर ध्यान देना चाहिए, जिससे कि आपको पता चल सके कि कहीं आपका बच्चा डिप्रेशन का शिकार तो नहीं है। बीते कुछ सालों में 3-4 साल के बच्चों में डिप्रेशन से जुड़े मामले देखे गए हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal19 Nov, 2018

 

 

पेरेंट चाइल्ड इंट्रेक्शन थैरेपी से मिल सकती है मदद
हाल ही में हुए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस नई थैरेपी के तहत अभिभावक बच्चों से बातचीत करने की कला सीख बच्चों में अवसाद (डिप्रेशन) को कम कर सकते हैं। इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि पेरेंट चाइल्ड इंट्रेक्शन थैरेपी (पीसीआईटी) से बच्चों में व्यवहारिक तौर पर होने वाले विकार से निजात दिलाई जा सकती है। साथ ही यह थैरेपी बच्चों के छोटी उम्र में हुए डिप्रेशन से बाहर निकालने में कारगर साबित हो सकती है।

 

 

क्या है पेरेंट चाइल्ड इंट्रेक्शन थैरेपी
पेरेंट चाइल्ड इंट्रेक्शन थैरेपी(पीसीआईटी) में अभिभावकों को बच्चों से बात करने की सही तकनीक सिखाई जाती हैं। इन तकनीकों का अभ्यास पेरेंट्स पहले विशेषज्ञों की देखरेख में कर सकते हैं। कम उम्र में बच्चों को अवसाद से बचाने के लिए शोधकर्ताओं ने इस थैरेपी में उनके भावनात्मक विकास के लिए भी मोड्यूल तैयार किया है। पीसीआईटी थैरेपी में इस्तेमाल होने वाली तकनीकों से पेरेंट्स बच्चों को उनकी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सीखा सकते हैं और साथ ही वे उनके बेहतर भावनात्मक सहभागी भी बन सकते हैं। इन तकनीकों को इस तरह तैयार किया गया है कि बच्चे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त भी कर पाएं।

तो, बच्चों में डिप्रेशन के मामले सामने न आए, इसके लिए ये बेहद जरूरी है कि बच्चों से बात की जाए और कुछ वक्त उनके साथ बिताया जाए…Next

 

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