धरती के बढ़ते तापमान और बारिश के समयचक्र में बदलाव के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव दक्षिण एशियाई देशों, खासकर भारत में जनसामान्य के जीवन में गिरावट के तौर पर देखने को मिलेगा। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर वल्र्ड बैक की गुरुवार को जारी की गई ताजा रिपोर्ट में यह आशंका जाहिर की गई है।
2050 तक 2 डिग्री तक इजाफा
वर्ल्ड बैंक के दक्षिण एशिया मामलों के आर्थिक विशेषज्ञ मुथुकुमार मणि द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में साल 2050 तक तापमान में सालाना एक से दो डिग्री सेल्सियस का इजाफा होगा। इससे कृषि, श्रम क्षेत्र और छोटे उद्योगों पर असर पडने के कारण किसानों, श्रमिकों और छोटे कारोबारियों सहित भारत की लगभग आधी आबादी के जीवन स्तर में गिरावट आएगी।
बदलाव की भयावह तस्वीर दिखेगी
मणि ने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से जलवायु परिवर्तन के कारण जीवन स्तर में बदलाव की भयावह तस्वीर भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका के तमाम इलाकों में देखने को मिलेगी। रिपोर्ट में उन्होंने इस असर से इन चारों देशों के सर्वाधिक प्रभावित 10-10 जिलों को चिन्हित कर इन्हें जलवायु परिवर्तन से प्रभावित दक्षिण एशिया के ‘हॉटस्पॉटÓ इलाके बताया है।
इन इलाकों में सबसे ज्यादा असर
भारत के सूखा प्रभावित विदर्भ, मराठवाड़ा और छत्तीसगढ़ के 10 जिलों के अलावा बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहे कॉक्स बाजार और बांदरबन सहित दस जिले शामिल हैं। जबकि इस आसन्न संकट से प्रभावित होने वाले श्रीलंका और पाकिस्तान के 10 जिलों में जाफना और इक्षत्रकोमाली के अलावा फैसलाबाद व लाहौर शामिल हैं।
समाधान के तीन उपाय सुझाए
मणि ने रिपोर्ट में समस्या के तात्कालिक समाधान के तौर पर भारत के लिए तीन उपाय सुझाए हैं। इनमें जलसंकट का स्थाई उपाय खोजना, गैरकृषि रोजगारों को बढ़ावा देना व शिक्षा के प्रसार की मदद से लोगों को जलवायु परिवर्तन के संकट के प्रति आगाह करते हुए जागरूक करना शामिल है।…Next
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