रोजाना हम सड़कों पर ऐसे कितने बच्चों को देखते हैं जो रेड लाइट पर खड़े होकर वहां से तेजी से गुजर रही गाड़ियों की रफ्तार थमने का इंतजार करते हैं. इसके पीछे होती है उनकी दो वक्त की रोटी की जरूरत. लेकिन हम में से ऐसे कितने लोग हैं जो ऐसे बच्चों के बारे में गंभीरता से सोचते हैं. शायद बहुत कम. लेकिन इन बातों से परे कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दुनिया को एक नई सोच देते हैं. ऐसी ही एक मिसाल है एक कलेक्टर.
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9 साल की छाया पारगी एक ऐसी ही अनाथ थी, जो दर-दर भटकने को मजबूर थी. एक दिन ऐसे ही भटकते हुए छाया ‘चाइल्ड लाइन मेंबर्स’ को मिली, जिसके बाद उन्होंने बच्ची की मदद के लिए उसे ‘मुस्कान’ नाम के एक अनाथालय भेज दिया, जहां छाया अन्य बच्चों के साथ बेहाल हो चुके अनाथालय में रहने लगी. अनाथालय की बदहाली के बारे में जब इलाके के कमिशनर सोलंकी को पता चला तो वो खुद इसका जायज़ा लेने पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात छाया से हुई. उन्हें छाया के सपने के बारे में भी पता चला कि भविष्य में वो एक अध्यापक बनना चाहती है.
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छाया के इस सपने को पूरा करने के लिए सोलंकी ने इलाके के ‘शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के जिला’ (DIET) की प्रिंसिपल आभा मेहता को छाया का लोकल गार्जियन नियुक्त किया है. इसके साथ ही उन्होंने छाया को इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिले का निर्देश दिया है, जिसकी निगरानी वो खुद करेंगे. इस तरह एक कलेक्टर ने रेड लाइट की खाक छान रही लड़की के सपनों को अमली जामा पहना दिया…Next
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