25 अगस्त को गुमरीत राम रहीम सिंह को रेप का दोषी करार दिए जाने के बाद से ही देश के कथित बाबाओं की चर्चा जोरों पर है। ऐसे बाबाओं की लिस्ट लंबी है, जो आस्था की आड़ में गंभीर अपराधों को अंजाम देते हैं। कई ऐसे कथित बाबा हैं, जो रेप, मर्डर और सेक्स रैकेट जैसे गंभीर मामलों में जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि गुरमीत सिंह के जेल जाने के बाद अब ऐसे मामलों में कोई कथित बाबा संलिप्त नहीं पाया जाएगा। पिछले कुछ ‘बाबाओं’ के जेल जाने के पीछे जो सबसे खास बात रही, वो थी महिलाएं। जिन ‘बाबाओं’ के आगे बड़े-बड़े लोग नतमस्तक होते थे, उनके खिलाफ पहाड़ बनकर खड़ी रहीं ये आम महिलाएं। ऐसा नहीं है कि उन्हें डराया-धमाकाया नहीं किया गया, लेकिन वे डरी नहीं। महानता उन महिलाओं की है, जिन्होंने इन कथित बाबाओं के ‘किले’ को ढहा दिया। आसाराम, नारायण साईं और गुरमीत राम रहीम सिंह, इन तीनों मामलों में आम महिलाओं ने ही दम दिखाया और अपनी लड़ाई लड़ी। इस दौरान उन्हें घर, परिवार और समाज तक का भी विरोध झेलना पड़ा होगा, लेकिन वे डिगी नहीं।
आसाराम
नाबालिग से यौन शोषण के मामले में लंबे समय से जोधपुर सेंट्रल जेल की हवा खा रहे आसाराम को सलाखों के पीछे भी उस नाबालिग ने ही पहुंचाया। इसके बाद किशोरी और उसके परिवार को तरह-तरह से डराया-धमकाया जाने लगा। मामले के गवाहों की हत्या भी हुई। मगर लड़की के इरादे नहीं डगमगाए। उसने ठान लिया था कि आसाराम के खिलाफ वो अपनी लड़ाई लड़ेगी। उसकी इस मानसिक दृढ़ता की ही देन है कि आसाराम 2013 से ही जेल में बंद है। कभी खुद को भगवान कहने वाला आसाराम, अब अदालत से रहम की भीख मंगता है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराने के दौरान उस किशोरी को तरह-तरह के विरोध न सहने पड़े हों, क्योंकि हमारे समाज में सबसे बड़ा डर इज्जत जाने का दिखाया जाता है। बावजूद इसके वह डगमगाई नहीं और आज भी न्याय के लिए आसाराम के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। वहीं, दूसरी ओर इन चार वर्षों में आसाराम का साम्राज्य ढहता चला गया। पहले जहां आसाराम की पेशी पर हजारों की संख्या में उसके अनुयायी जोधपुर कोर्ट के बाहर जुट जाते थे, वह संख्या अब कुछ में बदल गई है। इसे देखकर तो यही लगता है कि जल्द ही आसाराम को पूछने वालों की संख्या अंगुलियों पर गिन ली जाएगी। आसाराम को अर्श से फर्श पर लाने में उस किशोरी को कड़े संघर्ष से गुजरना पड़ा, फिर भी वह हिम्मत नहीं हारी।
नारायण साईं
नारायण साईं पर एक कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है कि ‘जैसा पिता वैसा पुत्र’। आसाराम की गिरफ्तारी के बाद 6 अक्टूबर 2013 को नारायण साईं पर भी दुष्कर्म का आरोप लगा। सूरत की दो बहनों में से छोटी बहन ने नारायण साईं पर, जबकि बड़ी बहन ने आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। आरोप था कि नारायण साईं ने 2002 से 2005 के बीच सूरत आश्रम में उसका लगातार यौन उत्पीड़न किया। इसके बाद वही नारायण साईं जो कभी अपने पिता की तरह ही खुद को भगवान कहता था, वो पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए भागा-भागा फिरने लगा। हालांकि पुलिस ने उसे 4 दिसंबर 2013 को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों बहनों के लिए आसाराम या नारायण साईं के खिलाफ मामला दर्ज कराना आसान नहीं था, क्योंकि ये शादीशुदा थीं। इनकी हिम्मत ही थी कि दोनों ने इन कथित बाबाओं के खिलाफ मामले दर्ज कराए।
गुरमीत राम रहीम सिंह
ताजा मामला गुरमीत राम रहीम सिंह का है। खुद को न जाने कितने नाम देने वाला गुरमीत सिंह अब जेल में 20 साल की सजा काट रहा है। गुरमीत राम रहीम का रसूख जगजाहिर है। डेरा सच्चा सौदा को गुरमीत सिंह ने अलग देश जैसा बना रखा था। बड़े-बड़े लोग उसके सामने सिर झुकाते थे। हर तरह से सक्षम गुरमीत सिंह के खिलाफ उस समय लड़ाई लड़ने की सोचना ही अपने आप में बड़ी बात है। गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ जंग लड़ने वाली युवती को अंतत: न्याय मिला। मगर जब युवती ने लड़ाई शुरू की थी, तब शायद उसने भी नहीं सोचा होगा कि वह एक दिन इस मुकाम पर होगी। 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने से लेकर मामले में फैसला आने तक, उस युवकी को न जाने कितनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा। मामले में युवती का समर्थन करने वालों की हत्या तक कर दी गई। उसे डराया-धमाकाया गया, लेकिन वह अडिग रही। उसने ठान लिया था कि इस ढोंगी बाबा के साम्राज्य को समाप्त कर देना है। उसने तय कर लिया था कि गुरमीत सिंह के उस आपराधिक किले को ढहा देना है, जिसे उसने धर्म की आड़ में खड़ा किया है और अंतत: उसकी जीत हुई।
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