हम हमेशा कहते हैं कि अब जमाना बदल गया है, हालात पहले से बेहतर हो गए हैं. वह परिस्थितियां जिसमें ना तो महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिए जाते थे और ना ही उन्हें वह सम्मान देने के प्रयास होते थे अब कल की बात हो गई है, क्योंकि अब तो महिलाएं लगभग हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं. ऐसे में कौन कह सकता है कि कुछ समय पहले तक वह अपने घर से बाहर निकलने के लिए भी स्वतंत्र नहीं थीं. लेकिन शायद यह हमारे पुरुष प्रधान समाज का आधा या फिर यूं कहें कि यह मात्र एक छ्द्म और आभासी सत्य है. क्योंकि आज भी पुरुषों के आधिपत्य वाले समाज में महिला सिर्फ एक उपयोग की वह वस्तु मानी जाती है जिसका ना तो कोई औचित्य है और ना ही उसका अपना कोई सम्मान है. अगर आपको उपरोक्त बातों पर यकीन नहीं है और आप भी उन लोगों में से हैं जो महिला सशक्तिकरण जैसी बातों पर विश्वास कर लेते हैं तो हाल ही में “तहलका” द्वारा हुआ एक स्टिंग ऑपरेशन आपकी सभी भ्रांतियों को दूर कर सकता है.
महिलाओं के साथ बलात्कार, शारीरिक शोषण और यौन हिंसा जैसी बढ़ती आपराधिक वारदातों और उन पर होती पुलिसिया कार्यवाही को देखकर अगर आप यह मान लेते हैं कि हमारा सुरक्षा तंत्र महिलाओं का सम्मान करता है इसीलिए वह अपराधियों को सजा दिलवाने के लिए संजीदा दिखाई देता है तो यह स्टिंग आपको ऐसी सच्चाई से वाकिफ कराएगा, जो आपको फिर एक बार यह सोचने के लिए विवश कर देगी कि क्या यही वो लोग हैं जिनके हाथों में महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है.
अपने निजी पलों को कैमरे में कैद करना चाहती हैं तो संभल जाइए !!
इस स्टिंग ऑपरेशन में पुलिस वालों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आखिर क्यों कोई महिला रेप का शिकार होती है. पुलिस ने कुछ मानक बयान किए हैं जो महिलाओं के साथ बलात्कार होने की गारंटी देते हैं.
पहली दलील – कम कपड़े पहनने वाली महिलाएं चाहती हैं कि उनके साथ बलात्कार हो !!!
वे महिलाएं जो स्कर्ट पहनती हैं या फिर साड़ी पहनती हैं, उनका शरीर पूरी तरह ढका हुआ नहीं होता, वह खुद अपना प्रदर्शन करती हैं, जिससे पुरुष आकर्षित होते हैं. महिलाएं कम कपड़े भी इसीलिए पहनती है क्योंकि वह चाहती है कि कोई उनके साथ यह अपराध करे.
पुलिस अधिकारी यह दलील देना चाहते हैं कि जिन महिलाओं का तन पूरी तरह ढका नहीं होता उनके साथ बलात्कार होना पक्का है.
दूसरी दलील – प्रेमी के दोस्तों को भी अधिकार है उसके साथ संबंध बनाने का
पुलिस का यह भी कहना है कि अगर कोई महिला अपने प्रेमी के साथ संबंध बनाती है तो प्रेमी के दोस्त भी महिला के साथ शारीरिक संबंध बना सकते हैं. अगर कोई लड़की, प्रेमी या उसके दोस्तों के साथ कहीं बाहर जाती है तो बाद में वह बलात्कार की शिकायत नहीं कर सकती.
तीसरी दलील – नशे में धुत्त लोगों के साथ आने-जाने वाली महिलाएं पीड़िता नहीं होतीं
पुलिस का मानना है कि शराब और अवसर बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए एक प्रभावकारी माहौल तैयार करते हैं. पुलिस का कहना था कि “जैसे हम लोग बैठे हैं, ज़्यादा दारू पी ली….फिर तो ऐसा ही होगा, रात भर रख ली.”
चौथी दलील – मां का आचरण गलत है तो बेटी का भी होगा
अगर किसी लड़की की मां का चरित्र ठीक नहीं है तो उसकी बेटी का चरित्र भी ठीक नहीं रह सकता. उसके गलत रास्ते पर चलने की संभावनाएं बहुत अधिक बढ़ जाती हैं.
पांचवीं दलील – उच्च वर्गीय महिलाएं बिगड़ैल ही होती हैं
ऊंचे तबके की महिलाओं को कपड़े पहनने की तमीज नहीं होती इसीलिए उनके साथ बलात्कार होना स्वाभाविक है. इसमें पुरुष की कोई गलती नहीं होती. दिल्ली एनसीआर में रेप के मामले न्यूनतम होते हैं, क्योंकि अधिकांश मामलों में रजामंदी से ही संबंध बनाए जाते हैं. लेकिन ब्लैकमेल करने के लिए लड़कियां रेप का आरोप लगाती हैं.
छठी और बेहद शर्मनाक दलील – वे महिलाएं जो बलात्कार का आरोप लगाती हैं उनका चरित्र ठीक नहीं होता !!
जो महिला रेप की शिकायत लेकर थाने आती है, उसका चरित्र अच्छा नहीं हो सकता. अच्छे परिवार की लड़कियां बदनामी से डरती हैं इसीलिए कभी पुलिस के पास नहीं जातीं. अर्थात अगर किसी महिला के साथ वाकई रेप हुआ है तो वह कभी शिकायत नहीं करेगी, लेकिन अगर वह शिकायत करती है तो पुलिस यह बिलकुल नहीं मानेगी कि वह सही है.
ऑफिस में महिलाएं ही नहीं पुरुषों के साथ भी होता है शारीरिक शोषण
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