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पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन भारतीय वैज्ञानिकों ने किया ईजाद, एक बार लगाकर 13 साल तक रहेगा असर

आमतौर पर देखा जाता है कि परिवार नियोजन के लिए महिलाओं को गर्भ निरोधन के प्रति जागरूक किया जाता है। बढ़ती जनसंख्या को देखते अनचाहे गर्भ निर्धारण से जुड़ी कई जानकारियां और रोकथाम की बातें बताई जाती हैं। आज आप किसी भी एक स्वास्थय से जुड़ी वेबसाइट या मैगजीन उठाकर देख लीजिए, वहां आपको गर्भ निरोधन से जुड़ी कई समस्याएं और सवाल मिल जाएंगे।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal14 Jan, 2019

 

 

वहीं, पुरुषों के लिए नसबंदी और इसके प्रति जागरूकता का अभाव भी देखा जा सकता है। पुरुषों को अब नसबंदी की जरूरत नहीं होगी, अब एक इंजेक्शन उनके लिए कॉन्ट्रासेप्टिव (गर्भनिरोधक) का काम करेगा। भारतीय वैज्ञानिकों ने मेल कॉन्ट्रासेप्टिव यानी गर्भनिरोधक इंजेक्शन विकसित किया है। इसका क्लिनिकल ट्रायल भी पूरा हो चुका है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ICMR की अगुवाई में यह ट्रायल पूरा कर रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी गई है। बहुत जल्द इस इंजेक्शन को इस्तेमाल के लिए हरी झंडी मिलने वाली है।

बिना सर्जरी काम करेगा सिर्फ एक इंजेक्शन
CMR के साइंटिस्ट डॉक्टर आर एस शर्मा ने बताया कि यह रिवर्सिबल इनबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस (RISUG) है, जो एक तरह का गर्भनिरोधक इंजेक्शन है। अब तक पुरुषों में गर्भनिरोधक के लिए सर्जरी की जाती रही है, लेकिन अब सर्जरी की जरूरत नहीं होगी। अब एक इंजेक्शन पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक का काम करेगा। खास बात यह है कि इस इंजेक्शन की सफलता की दर 95 पर्सेंट से भी ऊपर है और एक बार इंजेक्शन के बाद 13 साल तक यह काम करता है। डॉक्टर शर्मा ने कहा कि 13 साल तक का हमारे पास रेकॉर्ड है। हमें उम्मीद है कि यह इंजेक्शन इससे भी ज्यादा समय तक काम कर सकता है।

 

ऐसे करेगा इंजेक्शन काम
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि आईआईटी खड़गपुर के वैज्ञानिक डॉक्टर एस के गुहा ने इस इंजेक्शन में इस्तेमाल होने वाले ड्रग्स की खोज की थी। यह एक तरह का सिंथेटिक पॉलिमर है। सर्जरी में जिन दो नसों को काट कर इसका इलाज किया जाता था, इस प्रोसीजर में उसी दोनों नसों में यह इंजेक्शन दिया जाता है, जिसमें स्पर्म ट्रैवल करता है। इसलिए इस प्रोसीजर में दोनों नसों में एक एक इंजेक्शन दिया जाता है। डॉक्टर ने कहा कि 60 एमएल का एक डोज होगा। उन्होंने कहा कि इंजेक्शन के बाद निगेटिव चार्ज होने लगता है और स्पर्म टूट जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन यानी गर्भ नहीं ठहरता। डॉक्टर ने कहा कि पहले चूहे, फिर खरगोश और अन्य जानवारों पर इसका ट्रायल पूरा होने के बाद इंसानों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल किया गया। 303 लोगों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल फेज वन और फेज टू पूरा हो चुका है। इसके टॉक्सिसिटी पर खास ध्यान रखा गया है, जिसमें जीनोटॉक्सिसिटी और नेफ्रोटॉक्सिसिटी वगैरह क्लियर हैं। 97।3 पर्सेंट तक दवा को ऐक्टिव पाया गया और 99।2 पर्सेंट तक प्रेग्नेंसी रोक पाने में कारगर साबित हुआ…Next

 

 

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