सोचिए, आपका मोबाइल चोरी हो गया है और आप इसकी एफआरआई कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाते हैं तो आमतौर पर मोबाइल की कम्पलेन ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता। आप चक्कर काटते रहते हैं और पुलिस वाले आपको रोजाना नई-नई कहानियां सुनाकर समझाने की कोशिश करते हैं। ऑनलाइन एफआरआई से पहले तो कई मामलों को रजिस्टर में दर्ज तक नहीं किया जाता था।
लेकिन अब दिल्ली पुलिस के काम करने का तरीका 1 सितम्बर से बदल गया है। 31 अगस्त की रात से दिल्ली पुलिस ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे 84 साल पुराने रोजनामचे को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
अब डायरेक्ट कम्प्यूटर पर होगी शिकायतों की एंट्री
1 सितंबर से डेली डायरी की एंट्री सीधे कंप्यूटर पर दर्ज की जा रही है। डीसीपी राजन भगत ने बताया कि इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए दिल्ली पुलिस ने काफी तैयारियां की हैं। इसमें सिपाही से लेकर एसीपी स्तर के अधिकारी को रोल बेस स्पेशल ट्रेनिंग दी गई। पिछले 11 दिन से प्रत्येक थाने का स्टाफ डेली डायरी सीधे कंप्यूटर पर एंट्री कर रहा है।
नहीं हो पाएगी शिकायतों के साथ हेरा-फेरी
दिल्ली पुलिस ने अब अपने सिस्टम में 4।5 वर्जन अपग्रेड कर दिया है। इसकी विशेषता यह है कि रोजनामचा रियल टाइम पर हो गया। सीधे कंप्यूटर पर एंट्री होने की वजह से सेंट्रल सर्वर से ऑटोमैटिक तरीके से टाइम आ जाएगा। इससे टाइम की हेराफेरी नहीं हो पाएगी। सीनियर अफसर अपने ऑफिस में बैठकर अपने कंप्यूटर सिस्टम पर बैठकर किसी भी थाने के रोजनामचे को खोलकर देख पाएंगे। किसी भी तरह की सूचना को रोककर रख पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है रजिस्टर एंट्री कानून
दिल्ली पुलिस में रोजनामचे का इतिहास 84 साल पुराना है। आजादी से पहले जब पंजाब पुलिस रूल बनाया गया था उसी समय रोजनामचे का इस्तेमाल शुरू हुआ था। तभी से रोजनामचा दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली का अहम हिस्सा बना हुआ था। कंप्यूटर के इस जमाने में अब भी दिल्ली पुलिस के थानों सहित अन्य यूनिटों में रखे रोजनामचे में ड्यूटी ऑफिसर हाथ से एंट्री करते थे।
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