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महिलाएं तनाव की सबसे ज्यादा शिकार लेकिन आत्महत्या करने में पुरूष आगे, डिप्रेशन से ऐसे निपटें

”मैंने कुछ घंटों के लिए अपना ट्विटर अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया था। मैंने महसूस किया कि मैं मौत के करीब हूं। यह अभूतपूर्व था। मुझे लगता है कि सुसाइड करने का यह अच्छा विकल्प है। मैं जल्द ही इसे स्थायी रूप से कर सकता हूं।”
फिल्म एक्टर उदय चोपड़ा ने ट्विटर पर कुछ ऐसा ही ट्वीट किया जिसे उनके डिप्रेशन में होने के संकेत मिलते हैं। हालांकि, बाद में उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर दिए और इसे डार्क ह्यूमर बताया। जबकि कई लोगों का मानना है कि उदय तनाव में हैं इसलिए वो किसी इवेंट या शो में नजर नहीं आए हैं।
बहरहाल, डिप्रेशन एक ऐसी मानसिक बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को कभी भी घेर सकती है। कई मशहूर सेलिब्रिटी ‘डिप्रेशन’ और ‘एंग्जायटी’ का शिकार हो चुकी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक डिप्रेशन का शिकार दुनिया भर में महिलाएं सबसे ज्यादा होती हैं लेकिन तनाव को पुरुष नहीं झेल पाते और सुसाइड तक कर लेते हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal26 Mar, 2019

 

 

डिप्रेशन पर चिंताजनक है WHO के आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों के मुताबिक़ 2016 में ख़ुदकुशी से 7,93,000 मौतें हुईं। इनमें से ज़्यादातर पुरुष थे। उसी साल ब्रिटेन में पुरुष आत्महत्या की दर 1981 से लेकर अब तक सबसे कम रही प्रति एक लाख आबादी पर 15।5 मौतें। फिर भी पुरुषों में 45 साल की उम्र से पहले तक मौत का सबसे बड़ा कारण है आत्महत्या ही है। ब्रिटेन की महिलाओं में आत्महत्या से होने वाली मौत की दर पुरुषों की दर के एक-तिहाई है और प्रति लाख आबादी पर 4।9 मौतें। ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के आत्महत्या से मरने की आशंका तीन गुनी ज्यादा है। अमरीका में यह 3।5 गुनी है, रूस और अर्जेंटीना में 4 गुनी तक पहुंच गई है।

 

 

डिप्रेशन का असर अलग-अलग क्यों!
यह कहना बहुत आसान है कि महिलाएं अपनी समस्याएं साझा करने को तैयार रहती हैं, जबकि पुरुष उनको छिपाए रखते हैं। बहुत से समुदायों में पुरुषों को यह सिखाया जाता है कि तुम मजबूत हो और यह कभी मत मानो कि तुम मुश्किल में हो। ऑस्ट्रेलिया में 24 घंटे संकट सहायता और आत्महत्या रोकने की सेवा देने वाली चैरिटी ‘लाइफलाइन” के पूर्व कार्यकारी निदेशक कोलमैन ओ’ड्रिसोल कहते हैं, “हम बच्चों को बताते हैं कि लड़के रोते नहीं। हम छोटी उम्र से ही लड़कों को समझा देते हैं कि भावनाएं जाहिर नहीं करनी, क्योंकि ऐसा कमजोर लोग करते हैं।”
कनाडा में सेंटर फॉर सुसाइड प्रिवेंशन की कार्यकारी निदेशक मारा ग्रुनौ कहती हैं, “मां बेटों की तुलना में बेटियों से ज्यादा बातें करती हैं। वे अपनी भावनाएं साझा करती हैं और एक-दूसरे की भावनाओं को अच्छे से समझती हैं।” जबकि अगर हर इंसान अपनी परेशानियों को दूसरों के सामने जाहिर कर देता है तो उसके भीतर की बातें उसपर हावी नहीं होती और वो डिप्रेशन से बच सकता है।

 

डिप्रेशन से ऐसे निपटें

खुलकर बात करें
अवसाद से गुजर रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिनपर वे भरोसा करते हों या दोस्तों से बात करके अपने मन की भावनाओं को व्यक्त करें।

 

लिखकर व्यक्त करें अपनी भावनाएं
अगर आपको अपने मन की बातें किसी से कहने में झिझक महसूस होती है, तो आप एक डायरी या पेपर पर अपनी परेशानियां लिख सकते हैं, इससे आप काफी हल्का महसूस करेंगे।

 

 

सेहतमंद खाएं और रोजाना व्यायाम करें
सेहतमंद और संतुलित खानपान से मन खुश रहता है। वहीं कई वैज्ञानिक शोध प्रमाणित करते हैं कि व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जो दिमाग को स्थिर करते हैं।

 

नकरात्मक लोगों से रहें दूर
दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसकी जिंदगी में उससे नफरत करने वाले या चिढ़ने वाले लोग न हो इसलिए अगर कोई आपसे बिना बात में नफरत करता है या नकरात्मक सोच रखता है तो ऐसे लोगों से दूरी बना लें। इनके साथ जुड़े रहने या इनका दिल जीतने की कोशिश में आप खुद को नुकसान पहुंचाते रहेंगे और आगे चलकर आप डिप्रेशन के शिकार भी हो सकते हैं।…Next

 

 

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