यूं तो हमेशा से कहा जाता रहा है कि जन्म देने वाले से बड़ा पालने वाला होता हैं. तभी हमारे देश में भी भगवान श्री कृष्ण की माता के रूप में जो सम्मान मां यशोदा को मिला वो मां देवकी को नहीं, अगर किसी की जिंदगी में कुछ ऐसा ही हो कि उसे जन्म कोई और दे और पाले कोई और तो भी उसके मन में कभी न कभी जिंदगी के किसी मोड़ पर इच्छा जागेगी ही कि आखिर मुझे जन्म देने वाली मां है कौन, कैसी दिखती होगी वो. कुछ ऐसी ही कहानी है 21 वर्षीय पॉपी रोयल की.
21 वर्षीय पॉपी रोयल हमेशा से जानती थी कि वो गोद ली हुई हैं. फिर दो साल पहले उसने निश्चय किया कि वो अपने उस परिवार के बारे में पता लगाएंगी, जिसे वो कभी मिली ही नहीं.
बड़े होने पर पॉपी रोयल की जिंदगी बहुत खुशनुमा और सुरक्षित थी. उसके पिता क्लीफ, जो कि अब 68 साल के हैं और मां जेनी, जो कि 58 वर्ष की है, ने पॉपी को तब गोद लिया था, जब वो पांच हफ्तों की थी और उससे कभी नहीं छिपाया कि उसे असल में श्रीलंका से लाएं थे. पॉपी बताती हैं कि ‘मम्मी-पापा ने मुझे और एक अन्य श्रीलंकाई बच्चे जोशुआ को गोद लिया था.
पर उनकी परवरिश ओक्सफोर्डशाइर के एक अरामदायक परिवार में हुई थी, जो उसके जन्म स्थान से एक अलग ही दुनिया थी. क्लीफ और जेनी, पॉपी और जोशुआ को जब वो दोनों बहुत छोटे थे श्रीलंका से लाएं थे, मगर उस समय भी पॉपी हर बात समझने और पूछने के लिए काफी समझदार थी कि वो असल में कहां से संबंध रखती है. मुश्किल से वो 18 साल की रही होंगी, जब वो मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में एनथ्रोपोलॉजी की पढ़ाई कर रही थी. तभी यकायक उसके दिल में ख्वाहिश जगी, कि वो अपने जन्म देने वाली मां के बारे में पता लगाए.
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पॉपी ने बताया “जैसे मैं बड़ी हुई जानना चाहती थी कि क्या मैं उनके जैसी दिखती हूं.“ उसके पालनकर्ता माता-पिता बहुत सहयोगी थे. इसलिए अप्रैल 2103 में वो दोस्तों के साथ श्रीलंका गई. वहां जाने के लिए पते के नाम पर बस मेरे पास उस चाय के बागान का नाम था, जहां मेरी मां काम करती थी और उसका नाम कलिंगा है.
पॉपी को ये भी नहीं पता था कि उसका परिवार उस नागरिक हिंसा मे जिंदा भी बचा है कि नहीं, जिसने देश को 25 साल पहले टुकड़े कर अलग कर दिया था और जिसका अंत 2009 में हुआ था, परन्तु जब वो अपने होटल में एक स्थानीय नागरिक से मिली तो उसकी किस्मत बदल गई, जो इंगलिश बोलता था और उसके लिए ट्रांसलेट कर देता था. एक छोटे से गांव की पांच घंटे की यात्रा के बाद, पॉपी एक गेस्टहाउस पहुंची और वहां एक छोटी सी औरत साड़ी में उसके पास रोती हुई भागकर आई.
उस औरत ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया, पॉपी ने बताया. ये मुझे जन्म देने वाली मां थी. ये वाकई एक बहुत भावनात्मक पल था. ये वो क्षण था, जिसे मैं चाहकर भी अपनी खुद की मां के साथ नहीं बांट सकीं, पर वहां उस पल में कुछ ऐसा था, जिसमें मुझे खुद कुछ करना था.
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ट्रांसलेटर के द्वारा, कलिंगा ने बताया कि उसका पति शराब पीने के कारण मर गया है, पीछे दो जवान बेटियां पुष्पाललिता, जो अब 24 साल की है और मनिला खाती,जो अब 28 साल की है, को छोड़ गया है, जबकि उस समय पॉपी गर्भ में थी, उनकी आर्थिक हालात बहुत खराब थी, इसलिए उसने पॉपी को गोद दे दिया.
पॉपी ने बताया, ‘कलिंगा हमेशा से चाहती थी कि काश कभी वो मुझे दोबारा देख पाती’. “जब कभी कोई ब्रिटिश कपल किसी श्रीलंकाई बच्चे के साथ उसके चाय के बागान में घूमने आता तो उसे लगता कि कहीं वो मैं तो नहीं”. पॉपी फिर श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंची और पुष्पाललिता से मिली, जो एक चाय की फैक्ट्ररी में काम कर रही थी. मैं देखकर हैरत में रह गई कि वो मुझसे कितना मिलती थी. मैनें सीधे- सीधे उसके साथ एक जुड़ाव महसूस किया. जब तक मुझे गोद नहीं दे दिया गया था, वो मेरी देखभाल करती थी और उसे वो सब आज भी याद था.
पुष्पाललिता अध्यापिका बनने के लिए पढ़ाई कर रही थी, पर वो कम्प्यूटर क्लास का खर्चा नहीं उठा सकती थी और न ही अपने लिए कोई लैपटॉप ले सकती थी ताकि कम से कम बेसिक तो सीख लेती. इसलिए पॉपी अगस्त 2014 में दोबारा उसके पास आई और साथ में एक लैपटॉप भी लाई. उसने बताया, मुझे बहुत उत्तेजना महसूस हुई, क्योंकि मैं जानती थी कि ये मेरी सगी बहन की मदद करने के लिए एक मौका था, ताकि उसके सपने पूरे हो सकें. अब पॉपी ने चैरिटी का काम शुरू किया है जिसमें वो पुराने लैपटॉप इकट्ठा करती है ताकि उन श्रीलंकाई औरतों को दान कर सकें, जो चाय के बगानों में काम करती हैं.
मैं रोज अपने जन्मदाता परिवार के बारे में सोचती हू्ं. हम रोज फेसबुक पर एक- दूसरे के साथ संपर्क में रहते हैं या फिर ई-मेल करते रहते हैं और इस साल मेरा पूरा परिवार उनसे मिलने जाएगा. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा हम दोबारा एक-दूसरे से मिलेंगे. ये जैसे कोई चमत्कार ही हो. Next…
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