कल दिवाली है और सबके मन में खुशियों की बहार है. हर तरफ रोशनी और धूमधाम का माहौल है. दिवाली के अवसर पर सबको अपने मन की शांति के साथ बाहर बहार देखनी को मिलती है. अनगिनत दीपों की जगमगाती लौ अमावस्या की काली रात को भी जगमगा देती है. लेकिन कहते है न जब किसी त्यौहार में व्यापार का अंश आता है तो त्यौहार के कई रुप सामने आने लगते है जो अच्छे और बुरें दोनों होते है.
हिन्दुओं के सबसे पावन और रोशनी से पूर्ण इस त्यौहार पर हर चीज यों तो शुभ ही होती है लेकिन कुछ लोग इस शुभ अवसर को पटाखें, बम आदि की गुंज से अशुभ कर जाते है. पटाखों की गुंज के साथ ताश और जुए के मिलन से तो यह त्यौहार और भी अशुभ हो जाता है. यों तो पटाखे और आतिशबाजी खुशी व्यक्त करने का एक साधन होते है लेकिन उत्साह और उमंग के नशे में की गई थोड़ी सी गलती अंधेरी रात और भी अंधेरा कर देती है.
बारूद गंधक, कोयले का चूरा, कोबाल्ट, परमैग्नेट, एल्यूमिनियम आदि से बनने वाले यह पटाखें न सिर्फ बच्चों के लिए हानिकारक होते है बल्कि बड़े भी इसकी चपेट में ही रहते हैं. पटाखों के जलने के बाद निकलने वाली विषैली गैसें और रसायन पूरे वातावरण को प्रदूषित करती हैं जिसका असर लंबे समय तक रहता है. दिवाली के दौरान पटाखों एवं आतिशबाजी के कारण दिल के दौरे, रक्त चाप, दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है और पटाखों के साथ ध्वनि प्रदुषण भी इस दिन काफी होता है.
पटाखों का धुंआ तो हमारे शरीर को नुकसान पहुचाता है लेकिन इसके जुआ तो हमारी आत्मा को हे दुषित कर देता है. जुआ वही है जिसकी वजह से महाभारत का युद्ध हुआ था और आज तक न जानें कितने बर्बाद हुए. लेकिन फिर भी दिवाली के शुभ अवसर पर ऐसे लोगों की कमी नही जो लक्ष्मी को दांव पर लगा देते है. प्राचीन काल में ताश खेलने के प्रमाण थे लेकिन वह सिर्फ आपसी मजे के लिए होता था, पर बाजारवाद और कलयुग के असर ने इसे एक विकराल रुप दे दिया.
आखिर क्यों करें अपनी दिवाली को खराब. हो सकता है आपके द्वारा छोडा गया एक पटाखा किसी के घर का दीपक बुझा दें. दिवाली रोशनी का त्यौहार है शोर और हल्ले गुल्ले का नहीं. जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो प्रजा ने नाच-गान और अच्छा ख़ान-पान कर खुशियां मनाई थी न कि बम पटाखें छोड़ कर.
लेकिन फिर भी अगर आप या आपके बच्चें पटाखों के प्रति अपने प्रेम को छोड़ नही पा रहे तो कुछ सामान्य सावधानियां बरतें ताकि कोई अनहोनी न हो सकें.
जहां तक हो सके पटाखे जलाने से बचें अगर बच्चा न मानें तो उसे हल्के पटाखें जलाने दे और पटाखे जलाते समय आप उसके साथ ही रहें यही सबसे उपयुक्त होता है. आतिशबाजी चलाते वक्त बच्चों को पटाखों से निश्चित दूरी बनाए रखने के बारे में समझाएं. कभी भी पटाखें झुककर न जलाएं. दुर्घटना से बचाव के लिए साथ में पानी की बाल्टी रखें. दमा के मरीज घर से बाहर न निकलें संकरी गलियों या घरों की छतों पर पटाखे न चलाएं. आंख में बारूद या अन्य बाहरी वस्तु के कण जाने की स्थिति में साफ पानी से आँखों को धोएं. भूलकर भी खेल-खेल में किसी जानवर, मनुष्य या घास-फूस आदि पर जलता हुआ पटाखा न फेंकें.
आइयें इस दिवाली को सुरक्षित और सबके लिए रोशन बनाएं. कुछ ऐसा ताकि आपके साथ सबके घर के दीपक जलते रहे. आपके द्वारा उठाया गया एक कदम हो सकता है किसी इंसान के जीवन के दीपक को बचा सकें. अगर आप पटाखों और अन्य बुराईयों से दूर रहेंगे तो आपको देखते हुए आपके छोटे और परिवार वाले भी इन चीजों से बचकर पर्यावरण और समाज को दूषित होने से रोक पाएंगे.
जागरण जंक्शन परिवार की तरफ से आप सभी को दिवाली की हार्दिक बधाईयां.
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