बदलते वक्त ने हमें किसी रोबोट की तरह तेज बना दिया है। हम सुबह बिस्तर से उठते ही काम में लग जाते हैं, इसके बाद वापस बिस्तर तक पहुंचना किसी बड़े टास्क से कम नहीं लगता। इसके अलावा जल्दबाजी में खाने-पीने के मामले में भी हम अपने डाइट पर ध्यान नहीं दे पाते। जिससे हमारी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। अनियमित जीवनशैली के चलते हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है। पिछले एक दशक से कई बीमारियां बहुत तेजी से हमारे बीच फैल रही है, जिसमें से एक है डायबिटीज।
इसे कंट्रोल करने के लिए लोग कई तरह के टिप्स फॉलो करते हैं। इसके अलावा डायबिटीज को कंट्रोल करने में इस्तेमाल होने वाली दवा इंसुलिन की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन अगले कुछ सालों में लाखों-करोड़ों लोग ऐसे होंगे जो इंसुलिन के इंजेक्शन से वंचित रह जाएंगे। हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बताया गया है कि इंसुलिन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए अगर उसकी आपूर्ति और कीमत में कमी नहीं की गई तो बहुत से डायबीटीज के मरीजों को इंसुलिन नहीं मिल पाएगा।
दुनिया में 10 प्रतिशत से ज्यादा लोग डायबिटीज के मरीज
1980 में जहां दुनिया की 5 प्रतिशत आबादी डायबिटीज से पीड़ित थी वहीं आज यह संख्या दोगुनी हो गई है यानी अब दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी डायबिटीज से पीड़ित है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी जिसका सही समय पर इलाज न हो तो पीड़ित व्यक्ति की आंखों की रोशनी जा सकती है, किडनी फेल हो सकती है, हृदय से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं और यहां तक की अंग काटने तक की नौबत आ सकती है। दुनियाभर में टाइप 2 डायबिटीज तेजी से फैल रहा है जिसका संबंध मोटापा और एक्सर्साइज की कमी से है। लोगों की बदलती लाइफस्टाइल टाइप 2 डायबिटीज की सबसे बड़ी वजह है।
कई लोगों को नहीं मिल पाएगा इंसुलिन
अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो अगले 12 सालों में टाइप 2 डायबीटीज का सफल इलाज करने के लिए 20 प्रतिशत अधिक इंसुलिन की जरूरत होगी। लेकिन साल 2030 तक दुनिया के 7 करोड़ 90 लाख टाइप 2 डायबीटीज के आधे मरीजों तक भी इंसुलिन नहीं पहुंच पाएगा। स्टैन्फोर्ड यूनिवर्सिटी के डॉ संजय बासु कहते हैं कि एशिया और अफ्रीका के देशों में इंसुलिन की सबसे ज्यादा कमी देखने को मिल रही है…Next
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