आप शॉपिंग करने के लिए किसी शॉपिंग आउटलेट में जाते हैं, तो सामान लेने के बाद पेपर बैग मांगने पर आपसे उस बैग के पैसे भी वसूले जाते हैं। सबसे अजीब बात यह है कि आपने सारा सामान उसी जगह से खरीदा होता है लेकिन फिर भी आपको बैग लेने के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं। अगर आपने भी कभी पेपर बैग खरीदने के लिए पैसे चुकाए हैं तो आपको यह खबर पढ़ने की जरूरत है।
कैरी बैग को लेकर बाटा पर किया केस
चंडीगढ़ में एक शख़्स ने बाटा के शोरूम से 3 रूपये में बैग तो खरीदा पर उन्हें इसके बदले में 4000 रूपये मुआवज़े में मिले। अक्सर शोरूम में सामान रखने के कैरी बैग के लिए 3 से 5 रूपये लिए जाते हैं। अगर आप कैरी बैग खरीदने से इनकार करते हैं तो आपको सामान के लिए किसी भी तरह का बैग नहीं दिया जाता। चंडीगढ़ के रहने वाले दिनेश प्रसाद रतुड़ी ने 5 फरवरी, 2019 को बाटा के शोरूम से 399 रूपये में जूते खरीदे थे। जब उनसे काउंटर पर कैरी बैग के लिए पैसे मांगे गए तो उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि कैरी बैग देना कंपनी की जिम्मेदारी है। हालांकि, आखिर में कोई विकल्प न होने पर उन्हें बैग खरीदना पड़ा। कैरी बैग सहित उनका बिल 402 रूपये बन गया। इसके बाद दिनेश ने चंडीगढ़ में जिला स्तरीय उपभोक्ता फोरम में इसकी शिकायत की और शुल्क को गैर-वाजिब बताया।
कोर्ट ने पाया दिनेश के दावे को सही
इस शिकायत पर सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम ने दिनेश प्रसाद के हक़ में फ़ैसला सुनाया। फोरम ने कहा कि उपभोक्ता से ग़लत तरीके से 3 रूपये लिए गए हैं और बाटा कंपनी को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के लिए दिनेश प्रसाद रतुड़ी को 3000 रूपये मुआवज़े के तौर पर देने होंगे। साथ ही मुकदमे के खर्चे की भरपाई के लिए अलग से 1000 रूपये और देने होंगे। बाटा कंपनी को दंडात्मक जुर्माने के तौर पर उपभोक्ता कानूनी सहायता खाते में 5000 रूपये जमा कराने का भी आदेश दिया गया है।
कोर्ट के इस फैसले में इन बातों को बनाया गया आधार
Consumer Forum ने कहा कि किसी भी उपभोक्ता से पेपर बैग के लिए पैसे लेना ग़लत है और मुफ़्त में बैग देना स्टोर की ड्यूटी है क्योंकि उपभोक्ता ने उनसे सामान ख़रीदा है। इसके अलावा फॉरम ने कहा कि पैसे लेकर अपनी ही कंपनी का बैग देना एक तरह से मुफ्त का प्रोमोशन है, जिसके कंपनी से उपभोक्ता जुड़ते हैं और उनकी कमाई होती है। ऐसे में पैसे चार्ज करके बैग देने को किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता।
इस केस का फैसला ऐसी कंपनी के लिए एक सबक है, तो अगली बार अगर कोई कंपनी आपसे पेपर बैग के पैसे चार्ज करे, तो आप इस केस के बारे में उन्हें बता सकते हैं।…Next
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