पत्नी का रिश्ता आपसी भरोसे और समझदारी पर टिकता है, अगर यह भरोसा किसी भी वजह से कम हो जाए तो रिश्ते में दरार पड़ने लगती है। वहीं, आपसी संदेह और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो जाता है। यही वजह है कि आए दिन ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती हैं, जहां रिश्तों में संदेह के कारण अलगाव और यहां तक कि हत्याएं भी हो जा रही है। खासतौर पर स्त्री के लिए तो चरित्र सबसे कमजोर कड़ी है, जहां वह मजबूर हो जाती है।
ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी का रिश्ता आपसी समझदारी और भरोसे की बुनियाद पर टिकता है। अगर रिश्ते में संदेह पनप रहा है या पर्याप्त समझदारी नहीं आ पा रही है तो वक्त रहते संभल जाएं और आपसी बातचीत के जरिये इसे सुलझाने की कोशिश करें। कोर्ट ने कई फैसलों को सुनाते हुए कहा है कि जीवनसाथी पर बेबुनियाद संदेह करना मानसिक प्रताडऩा की श्रेणी में आता है और इस आधार पर तलाक याचिका को मंजूरी दी जा सकती है।
एक मामले में हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया था, उसमें पति-पत्नी की शादी को 27 वर्ष हो चुके थे। इतने साल बाद एकाएक पति को यह आभास होता है कि उसकी पत्नी उसके प्रति वफादार नहीं है। पीडि़त पत्नी ने इस आधार पर तलाक की याचिका दी थी। कोर्ट ने माना कि चरित्र पर संदेह करना भी मानसिक प्रताडऩा का आधार है क्योंकि जिस पर संदेह किया जाता है, वह बेहद यातना से गुजरता है। इस मामले के तहत दंपति का विवाह वर्ष 1989 में हुआ था और उनके दो बच्चे भी हैं। पत्नी ने वर्ष 2007 में फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दाखिल की थी। उसने शिकायत में कहा था कि शादी के बाद से ही पति द्वारा उसे दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त किया गया। कुछ वर्षों बाद पति ने उसके चरित्र पर उंगलियां उठानी शुरू कर दीं और उससे मारपीट करने लगा। वह बच्चों की खातिर सब सहन करती रही लेकिन जब वर्ष 2006 में पति ने बेटे के ही सामने उससे मारपीट की तो उसकी सहनशक्ति जवाब दे गई और उसने पुलिस में इसकी शिकायत की। मामला फैमिली कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट ने पत्नी की तलाक की याचिका को मंजूर कर लिया। वह जमाना बीत गया है, जब पति बिना प्रमाण के पत्नी के चरित्र पर उंगली उठाता था और समाज उसे मान लेता था। आज दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है और कानून को भी ठोस प्रमाण की आवश्यकता होती है, जो इस मामले में पति द्वारा नहीं दिया जा सका है इसलिए ऐसे आरोप को बेबुनियाद ही माना जाएगा।
अपने पार्टनर से खुलकर बात करें
कहते हैं इंसान को हर तरह की परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए इसलिए बदलाव से नहीं घबराना चाहिए। आपके मन में अगर कोई भी बात आई है, तो अपने पार्टनर से खुलकर बात करें। अपने शक को दूर करके भरोसा बनाए रखना प्यार की पहली शर्त है। वहीं, अगर आपका शक सही भी साबित होता है, तो कोई ठोस फैसला लेने से न घबराएं। खुद को प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखें। याद रखें, कोई रिश्ता दो लोगों के चाहने से ही टिक सकता है, ऐसे में अगर आपका पार्टनर आपसे दूर जाना चाहता है, तो आप उसे एक हद तक समझा सकते हैं लेकिन जबरन रोकने का कोई अर्थ नहीं है।….Next
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