Menu
blogid : 316 postid : 1355737

‘छात्राओं की सुरक्षा पर कभी गंभीर नहीं हुआ BHU प्रशासन, कहा- अपनी सुरक्षा खुद करो’

BHU की कुछ पूर्व और वर्तमान छात्राओं का। कैंपस में छात्राएं खुद को कितना सुरक्षित महसूस करती हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन का क्‍या रवैया रहता है, ये जानने के लिए जागरण जंक्‍शन ने कई छात्राओं से बात की। उनके अंदर डर इस कदर है कि सभी ने नाम न लिखने की शर्त पर ही बात की। सभी की बात का सार यही निकला कि छात्राओं की सुरक्षा पर BHU प्रशासन कभी गंभीर हुआ ही नहीं। यानी मालवीय जी की बगिया में लड़के-लड़कियों को पढ़ने का समान अधिकार तो मिला, लेकिन उनकी सुरक्षा की फिक्र कभी किसी को नहीं हुई। 2007 हो या 2017, स्थित एक जैसी ही है।


BHU


हमेशा दबाई गई है आवाज

BHU से पढ़ाई करने के बाद वहीं बतौर असिस्‍टेंट प्रोफेसर कार्यरत पूर्व छात्रा बताती हैं कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने छात्राओं की सुरक्षा के मसले को कभी गंभीरता से नहीं लिया। लड़कियां शिकायत करती हैं, तो उनसे ही 10 सवाल किए जाते हैं कि देर से बाहर क्‍यों निकलती हो, अकेले क्‍यों गई थी। ऐसे तमाम सवालों के बाद अंत में कहा जाता है कि अपनी सुरक्षा खुद करो। समय से बाहर आया-जाया करो। बीएचयू प्रशासन पर नाराजगी जाहिर करते हुए वे कहती हैं कि यहां हमेशा आवाज दबाई गई है। जो छात्राएं प्रदर्शन कर रही हैं, उनकी आवाज इतनी बुलंद नहीं है कि प्रशासन हिल सके। कुछ दिनों बाद ये आवाज भी दबा दी जाएगी और सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।


BHU2



हिंदी विभाग से पीएचडी कर रही छात्रा का कहना है कि कैंपस लड़कियों के लिए असुरक्षित है। 2009 में एडमिशन लिया था और आज 2017 में भी स्थिति वैसी ही है। अभी भी शाम को बाहर जाने में डर लगता है। 2009 में जब बीए फर्स्‍ट ईयर में थी, तो एक दिन मैं, मेरी सहेली और हमारा एक दोस्‍त विश्‍वनाथ मंदिर (VT) से वापस आ रहे थे। लॉ फैकल्‍टी के सामने बाइक सवार तीन लड़के फब्तियां कसने लगे। मेरे दोस्‍त ने विरोध किया, तो वे हम पर पत्‍थर फेंकने लगे। हम डरे-सहमे किसी तरह वहां से निकले। इसी साल एक और ऐसी ही घटना हुई। मेरी एक दोस्‍त महिला महाविद्यालय (MMV) से पैदल लंका जा रही थी। कुछ कदम आगे जाते ही पीछे से आ रहे बाइक सवार लड़कों ने उसे पीछे थप्‍पड़ मारा और भाग गए। दोनों मामलों में शिकायत नहीं की गई, क्‍योंकि हमें पता था कि इस बात को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा। ये दोनों ही घटनाएं शाम पांच बजे से भी पहले की हैं। हालांकि, वे कहती हैं कि ये कोई जरूरी नहीं है कि कैंपस के ही छात्र ऐसा करते हों। यहां बाहरी भी बाते हैं और वे भी ऐसी हकरतें करते हैं।


BHU1


BHU पहले भी असुरक्षित था और आज भी है

इन्‍हीं की तरह एक पूर्व छात्रा बताती हैं कि BHU लड़कियों के लिए पहले भी असुरक्षित था और आज भी है। 2010 की बात है। मेरी एक फ्रेंड नवीन हॉस्‍टल से हिंदी विभाग जा रही थी। हॉस्‍टल से कुछ आगे निकलने पर एक लड़का वहां गलत काम कर रहा था। मेरी फ्रेंड को देखकर उसकी तरफ मुंह कर लिया। वो भला-बुरा कहते हुए आगे तो निकल गई, लेकिन जब हमसे मिली तो घटना का जिक्र करते हुए डर उसके चेहरे पर साफ दिख रखा था। हॉस्‍टल में हमेशा हम बात करते थे कि बाहर का कोई काम हो, तो उसे दिन ढलने से पहले ही निपटा लो। बहुत जरूरी होने पर हम ग्रुप में जाते थे, लेकिन फिर भी डर लगता रहता था। BHU में ऐसे मामलों में लिस्‍ट बहुत लंबी है। ज्यादातर छात्राएं दिन ढलने के बाद अपने अापको असुरक्षित महसूस करती हैं। हालांकि, पहले हल्‍की-फुल्‍की कार्रवाई हो जाती थी और मामला दब जाता था। इस बार बिल्‍कुल कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए छात्राएं सड़क पर उतरने को मजबूर हो गईं। दुख होता है कि इतने वर्षों में बहुत कुछ बदला, लेकिन बीएचयू में रहने वाली लड़कियों में असुरक्षा का माहौल अभी भी बरकरार है।


Read More:

कभी मूर्ति को अश्लील बताकर तो कभी प्रोफेसर को सस्पेंड करके, बीएचयू में हो चुके हैं ये 5 बवाल

ब्‍लू व्‍हेल ही नहीं ये गेम्‍स भी हैं खतरनाक, कहीं आपका बच्‍चा भी तो नहीं खेलता!

कंगारुओं के छक्के छुड़ाने में रोहित शर्मा सबसे आगे, इन 4 टीमों के खिलाफ भी बेहद खास है रिकॉर्ड


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh