क्या आप फोन को तकिया के नीचे रखकर सोते हैं? अगर जवाब हां है, तो ऐसा करना बंद कर दीजिए क्योंकि इससे न सिर्फ आप कई मानसिक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं बल्कि फोन की रेडिएशन आपकी उम्र भी कम कर रही है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप फोन का इतना ज्यादा इस्तेमाल न करें कि आपकी सेहत के लिए खतरा बन जाए। ज्यादा फोन के इस्तेमाल से हमारी नींद, सेल्फ स्टीम, रिलेशनशिप, याद्दाश्त, अलर्टनेस, क्रिएटिविटी, प्रॉडक्टिविटी समस्या का समाधान करने और फैसला लेने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
डोपामीन की वजह लगती है फोन की लत
फोन के डिसकशंस का बायोकेमिकल इफेक्ट डोपामीन पर केंद्रित रहता है। यह केमिकल आदतें डालने और अडिक्शन बढ़ाने के लिए होता है। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि डोपामीन की वजह से ही हम फोन के अडिक्टेड होते जा रहे हैं वहीं फोन की वजह से हमारा कॉर्टिसॉल बढ़ना ज्यादा खतरनाक है। कॉर्टिसॉल एक ऐसा हॉरमोन है जो शरीर में अचानक किसी ट्रिगर से हमारा बचाव करता है जैसे ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट या ब्लड शुगर बढ़ने पर। लेकिन हमारा शरीर तनाव की स्थिति में भी कॉर्टिसॉल रिलीज करता है जैसे जब आप नाराज बॉस का मेल चेक करने के लिए फोन देखते हैं। प्रफेसर डेविड ग्रीनफील्ड बताते हैं कि अगर फोन आपके आसपास है या आपको इसकी आवाज भी सुनाई दे जाए तो आपका कॉर्टिसॉल लेवल बढ़ जाता है।
ऐसे जान ले सकता है कॉर्टिसॉल का बढ़ता लेवल
ऐसा होने पर थोड़ी देर के लिए भले आपको अच्छा लगे पर लंबे समय में इसके नतीजे घातक हो सकते हैं। जब भी आप फोन चेक करते हैं तो कुछ न कुछ स्ट्रेस देने वाला आपका इंतजार कर रहा होता है, इससे आपका कॉर्टिसॉल बढ़ता है फिर आप कुछ चेक करते हैं और फिर आपका मन फोन चेक करने का करता है। यह साइकल चलती रहती है, इससे लगातार कॉर्टिसॉल लेवल बढ़ता जाता है। और कॉर्टिसॉल लेवल के लगातार बढ़ते रहने से डिप्रेशन, मोटापा, मेटाबॉलिक सिन्ड्रोम, टाइप 2 डायबीटीज, फर्टिलिटी इश्यूज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डिमेंशिया और स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।…Next
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