
Posted On: 28 Aug, 2010 Common Man Issues में
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विवाह प्यार और अपनापन का एक पवित्र रिश्ता है. पति और पत्नी के बीच सात जन्मों का एक अटूट बंधन. दोनों आपस में साथ देने का और आपस में विश्वास की एक ऐसी डोर बांधते हैं जिसे केवल मृत्यु ही जुदा करती है. लेकिन इतने पावन रिश्ते को भी नजर लगती है. पति और पत्नी के इस पवित्र बंधन में भी कई बार दरार पड़ जाती है जबकि पति, पत्नी के बीच कोई और आ जाता है. और यहीं से शुरू हो जाती हैं तमाम समस्याएं फिर नौबत आ जाती है लड़ाई-झगड़े व तलाक की.
ऐसा ही कुछ कविता के साथ भी हुआ. उसके पति राकेश ने उसके अफेयर का पता लगाने के लिए तो बाकायदा एक जासूस को भी लगाया, और यहां भी वही हुआ. पति, पत्नी के बीच वो ने तलाक करा दिया लेकिन इस कहानी में एक ऐसा भी पक्ष था जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ वह था कविता और राकेश की बेटी प्रीती. कोर्ट में उसने अपने सबसे प्यारे मां-पिता को लड़ते हुए देखा. उसके बाल मन में शादी के प्रति बड़ा विरोध जागा.
यह तो थे कुछ उदाहरण विवाहेत्तर संबंधों के. कहते हैं घर की मुर्गी दाल बराबर होती है, यह वाक्य विवाह के बाद परिवार में फिट बैठता है. अक्सर आजकल के मॉडर्न कल्चर में जहां पति और पत्नी दोनों प्रोफेशनल होते हैं और काम करते हैं वहॉ ऐसी स्थिति में कार्यस्थल पर किसी और से नजरे मिल जाएं तो दोस्ती की डोर प्रेम का रुप धारण कर लेती है.
विवाहेत्तर संबंध अगर केवल भावनात्मक हों तो कोई बात नहीं. आज कल कार्यस्थल पर कुछेक दोस्त ऐसे मिल ही जाते हैं जो काफी करीब आ जाते हैं लेकिन जब यही भावनात्मक संबंध अपनी हदें पार कर शारीरिक संबंध तक पहुंच जाता है तब पति-पत्नी के बीच एक दीवार बन जाती है. जो अगर छुपी रहे तो ठीक है वरना शादी से तलाक का रास्ता ज्यादा दूर नहीं रहता.
आजकल के परिवेश में सेक्स प्यार का नाम बनता जा रहा है. पुरुषों के साथ महिलाएं भी एक से अधिक सेक्स पार्टनर रखने में दिलचस्पी रखने लगी हैं. ऐसे में विवाह के बाद भी किसी दूसरे से संबंधो की चाह पति-पत्नी के रिश्ते के आड़े आ जाती है. स्थिति इसलिए भी भयावह है क्योंकि पुरुष चाहे 10 महिलाओं के साथ संबंध बनाए मगर वह यह कतई बर्दाश्त नहीं करता कि उसकी पत्नी किसी गैर-मर्द से संबंध रखे.
ऐसे रिश्ते बन तो जाते है लेकिन टूटने का नाम जल्दी नहीं लेते. मगर हां, यह शादी जरुर तुड़वा देते हैं. तलाक की स्थिति पैदा कर ऐसे रिश्ते पारिवारिक संबंधो को ठेस पहुंचाते हैं. तलाक बेशक एक रिश्ता खत्म करने का आसान तरीका है लेकिन इससे पति-पत्नी के अलावा और भी कई लोग आहत होते हैं जैसे बच्चे और घर के बूढ़े सदस्य. अक्सर यह सब होते हुए बच्चे भी देखते हैं और बालमन तो होता ही नाजुक है. इन सब की उनके आने वाले कल पर छाप अवश्य दिखती है.
विवाहेत्तर संबंध नैतिक मूल्यों के तो खिलाफ है ही यह मानवीय मूल्यों को भी धराशायी कर देता है. समाज नाम की व्यवस्था पर भी इसका अच्छा-खासा असर देखने को मिलता है. आज कल के फैशन-परस्त युवाओं को ऐसे रिश्तों में बहुत आनंद आता है, वह इसे अपनी आजादी के तौर पर देखते हैं लेकिन एक उम्र सीमा के बाद जब आकर्षण खत्म हो जाता है और शरीर बुढ़ापे की ओर जाने लगता है तो फिर अकेलेपन की समझ आती है और साथी का महत्व समझ आता है. चन्द पलों के आवेश में आकर शादी को तलाक में बदल देने वाले आजकल के युवा बुढ़ापे में रोते हैं. आज कल बढ़ते तलाक के मामले इस बात का सबूत हैं कि समाज में विवाहेत्तर सबंध कितने जोरों से चलते हैं.
आज हमारा समाज हवा में झोंके में बह रहा है. हमारे और आपके सभी के घरों में युवा-वर्ग है. आप क्या चाहते हैं? क्या विवाहेत्तर सबंधों की दुनियां को आप भी मनुष्य की आजादी से जोड़ कर देखते हैं?
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