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कोरोना की दवा तलाश रहे रिसर्चर्स ने खोजा बचाव का सही तरीका, 44 शोध के बाद मिली कामयाबी

कोरोना महामारी को लेकर दुनियाभर के देश मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद रोजाना नए मरीजों की संख्या पिछले दिनों का रिकॉर्ड तोड़ दे रही है। ऐसे में कोरोना से बचने के लिए रिसर्चर्स ने नया उपाय खोज निकाला है। 44 शोधों के बाद रिसर्चर्स ने बचाव का सही तरीका खोजने का दावा किया है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan3 Jun, 2020

 

 

 

 

फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग कारगर
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक कोरोना से बचाव के तरीकों पर लंबे समय से वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। रिसर्चर्स ने दावा किया है कि फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग कोरोना को फैलने से रोकने में कारगर तो है लेकिन इसके लिए सही डिस्टेंस और मास्क का इस्तेमाल होना जरूरी है।

 

 

 

टाइट फिटिंग N95 मास्क वायरस को रोकने में सक्षम
रिसर्चर्स के मुताबिक सिंगल लेयर के मास्क कोरोना वायरस को रोकने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हैं। रिसर्चर्स ने दावा किया है कि सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल कोरोना वायरस को रोकने में ज्यादा कारगर है जबकि, टाइट फिटिंग N95 मास्क सर्वोत्तम परिणाम देता है। रिसर्चर्स मानते हैं कि धीरे धीरे वायरस की क्षमता बढ़ती जा रही है ऐसे में नॉर्मल मास्क की जगह टाइट फिटिंग N95 मास्क का इस्तेमाल ही बेहतर है।

 

 

 

 

एक मीटर नहीं दो मीटर की डिस्टेंस जरूरी
रिसर्चर्स ने लोगों के बीच डिस्टेंस के बारे में भी बताते हैं कहा है कि सिर्फ एक मीटर की दूरी से कोरोना के संक्रमण को रोकने में सफलता हासिल नहीं होगी। इसके लिए दो लोगों के बीच कम से कम दो मीटर की दूरी आवश्यक है। फेस मास्क और सही डिस्टेंस नहीं होने के कारण कोरोना लगातार बढ़ता जा रहा है।

 

 

 

 

44 शोध में हुआ खुलासा
कनाडा की मैकमास्टार यूनिवर्सिटी के विशेषाज्ञ डॉक्टर डेरेकचू के मुताबिक 44 शोध में यह बात सामने आ चुकी है। डॉक्टर डेरेकचू मेडिकल जर्नल में प्रकाशित स्टडी के सह लेखक भी हैं। रिसर्चर्स के मुताबिक ग्लास का ट्रांसपैरेंट हेलमेट पहनने से वायरस से संक्रमित होने का खतरा और भी कम जाता है।

 

 

 

 

दवा और वैक्सीन बनाने पर रिसर्च जारी
गौरतलब है कि कोरोना महामारी को खत्म करने और इससे बचने के उपायों को लेकर कई देशों के वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हुएु हैं। द लैंसेंट मेडिकल ​जर्नल में प्रकाशित स्टडी में रिसर्चर्स ने दावा किया है कि जब तक कोरोना वायरस की दवा या वैक्सीन नहीं बन जाती है तब तक इन्हीं उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए।..NEXT

 

 

 

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