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मां दुर्गा ने सपने में कहा बेटी की बलि दे दो

मध्यप्रदेश के सिवनी गांव में एक बाप ने इसीलिए अपनी बेटी को मार डाला क्योंकि उसके सपने में दुर्गा मां आकर उसे यह आदेश दे गई थी कि वह अपनी बेटी की बलि ले. मां दुर्गा के आदेश का पालन करने के लिए उसने अपनी मासूम सी बेटी के प्राणों की आहुति दे दी.


तथाकथित मॉडर्न विचारधारा पर चल रहे आज के युग के माथे पर उपरोक्त पंक्तियां किसी कलंक से कम तो नहीं है लेकिन अब जब आएदिन सुनने को मिल रही बलात्कार, छेड़छाड़, दहेज हत्या से जुड़ी खबरों के बीच शायद बेटी की बलि दिए जाने जैसी खबर कुछ खास महत्व भी नहीं रखती. कह सकते हैं कि अब हमें इन सबकी कुछ आदत सी हो गई है.


पुलिस के अनुसार सिवनी जिले के तहसील मुख्‍यालय केवलारी से करीब 12 किलोमीटर तुरगा गांव में खैरमाई का एक मंदिर है जहां यह घटना घटित हुई है. केवलारी थाने के प्रभारी एम. ए. कुरैशी ने इस घटना की जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही उन्हें यह खबर मिली कि झोलागांव में रहने वाले 40 वर्षीय संतलाल इडपाचे ने अपनी छह साल की मासूम बेटी ऋतु का सिर पर कुल्हाड़ी मारकर उसे मौत के घाट उतारकर उसके मृत शरीर के पास बैठा है. वैसे ही कुरैशी और उनकी टीम घटनास्थल पर जा पहुंची,पुलिस को देखकर संतलाल पूजा करने बैठ गया.


अपनी आंखों से यह बेहद खौफनाक दृश्य देखने के बाद कुरैशी ने संतलाल को गिरफ्तार कर लिया और जब उसने अपनी बेटी को मारने का कारण बताया तो वहां मौजूद सभी लोगों के तो जैसे रोंगटे ही खड़े हो गए.


संतलाल के अनुसार उनके सपने में दुर्गा अवतरित होकर उनसे कहने लगी कि उन्हें अपनी बेटी की बलि दे देनी चाहिए. सपने में आई ईश्वरीय प्रतिमा के आदेश को वह कैसे दरकिनार कर सकते थे इसलिए उन्होंने अपनी इकलौती बेटी को मौत के घाट उतार दिया.


लोगों का कहना है कि संतलाल की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है लेकिन इस घटना के पीछे का सच क्या है अभी इस बात से पर्दा नहीं उठाया जा सका है.


वैसे बेटी का घर में जन्म होना हमारे समाज के लिए एक बड़ी मुश्किल ही माना जाता है. वह पैदा होती है तो घर में खुशी नहीं बल्कि मातम जैसा माहौल बन जाता है. जब तक वह अपने पिता के घर में रहती है उसे एक बोझ ही मानकर रखा जाता है. विवाह के बाद वह जिस घर में जाती है वहां पति की नजर में वो भोग्या होती है और सास-ससुर उसे सोने का अंडा देने वाली मुर्गी, जिसे तिल-तिलकर मारा जाता है और अगर वह किसी कारण सोना का अंडा नहीं दे पाती तो बेचारे ससुरालवालों के पास उसे जलाने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं बचता. वैसे भी जब माता-पिता के पास रहते हुए उसे सम्मान, उसे अधिकार नहीं मिला तो किसी बाहरी व्यक्ति से ये उम्मीद भी कैसे की जा सकती है.


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