धन-दौलत सब माया है। अक्सर लोग ऐसी दार्शनिक बातें करते हैं, पर जब भी पैसे के लेन-देन की बात आती है, तो उनका नजरिया पूरी तरह बदल जाता है। पैसे कमाने और खर्च करने को लेकर हर इंसान का अपना-अपना तरीका होता है। इसी वजह से पैसे को लेकर लोगों की सोच में काफी विविधता देखने को मिलती है। आइए आपको मिलवाते हैं कुछ ऐसे ही लोगों से, जो पैसे को लेकर अलग-अलग सोच रखते हैं।
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया
ऐसे लोगों में दिखावे की प्रवृत्ति बहुत ज्य़ादा होती है और ये बिना सोचे-समझे खर्च करने में माहिर होते हैं। ऐसी आदतों से त्रस्त लोग शादी-विवाह और पार्टियों में अपनी हैसियत से बढ़-चढ़कर खर्च करते हैं और बाद में पछताते हैं।
अति कंजूस
जो लोग सोच-समझ कर खर्च करते हैं, उन्हें किफायती कहा जाता है और इसमें कोई बुराई नहीं, लेकिन जो खर्च करने से पहले जरूरत से ज्य़ादा सोचते हैं, उन्हें कंजूस की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों में कंजूसी बरतते हैं, मसलन दोस्तों के साथ बाहर खाने जाने पर बिल न चुकाना, अपनों को कभी भी कोई उपहार न देना, पड़ोसी से अखबार मांग कर पढऩा, सस्ती और घटिया चीजें खरीदना आदि। चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए जैसी कहावत का जन्म ऐसे ही लोगों की वजह से हुआ होगा।
उधारी लाल
ये सही तरीके से बजट बनाकर नहीं चलते और महीने के आखिर में इन्हें अपने दोस्तों से उधार मांगना पड़ता है। इतना ही नहीं, ऐसे लोग बिना सोचे-समझे क्रेडिट कार्ड से जम कर शॉपिंग करते हैं और सही समय पर भुगतान नहीं करने की वजह से पेनल्टी चुकाने की नौबत आ जाती है।
मौकापरस्त
इनकी नजर हमेशा पैसे पर होती है और इस मामले में इनका निशाना भी अचूक होता है। जहां से भी फायदा मिल जाए, उसे लेने में जरा भी देर नहीं लगाते। चाहे सिफारिश से अपना कोई काम निकलवाना हो या फिर किसी दूसरे का काम करवाके उससे कमीशन झटकना…। मौके का फायदा उठाने में ये उस्ताद होते हैं। इतना ही नहीं, ऐसे लोग रिश्वत लेने में भी संकोच नहीं बरतते।
स्मार्ट इन्वेस्टर
ऐसे लोग अपनी सीमित आय का बेहतरीन इस्तेमाल करना जानते हैं। ये शुरुआत से ही बचत पर ध्यान देते हैं और का$फी सोचने-समझने के बाद ही इन्वेस्टमेंट करते हैं। सही मायने में ऐसे लोग स्मार्ट इन्वेस्टर माने जाते हैं और मुश्किल हालात में भी इन्हें उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
मि..अनाड़ी
ये खर्च को लेकर बहुत अव्यावहारिक होते हैं और अकसर ठगे भी जाते हैं। ऐसे अनाड़ी लोग बिना प्लैनिंग के बहुत ज्य़ादा खर्च कर देते हैं। जहां ये $गैर जरूरी और महंगी चीजें खरीदने में बेतहाशा खर्च करते हैं, वहीं अपनी छोटी-छोटी जरूरतों में कटौती कर रहे होते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए ही यह कहावत प्रचलित है-अशर्फी की लूट, कोयले पर मोहर…Next
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