दिवाली पर लोगों की लिस्ट में इस त्योहार के कई प्लान होते हैं लेकिन इस बार दिवाली पर कई चीजें बदली हुई नजर आ रही हैं, जिनमें से सबसे खास है पटाखों को जलाने के लिए सिर्फ 2 घंटे का समय. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पटाखे सिर्फ 8 से 10 बजे तक ही जलाए जा सकते हैं. ऐसे में प्रदूषण से कुछ राहत तो मिल ही सकती है. लेकिन फिर भी हम अपनी तरफ से कई प्रयास कर सकते हैं, जिससे प्रदूषण से निपटा और बचा जा सकता है. आइए, जानते हैं कुछ खास बातें.
प्लास्टिक वाले सजावट के सामान का न करें इस्तेमाल
घर सजाने के लिए रंगीन कागज और रंगोली का इस्तेमाल सबसे अच्छा रहता है। हैंड मेड पेपर से बनी कंदील आदि चीजें छतों से टंगी हुई घर की शोभा बढ़ाती है। लेकिन, बीते कुछ सालों में घर सजाने में प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। दिवाली पर तो यह घर सजाने के काम आते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद ही ये सड़कों और गलियों में बिखरे देखे जा सकते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक कितनी खतरनाक है इसलिए इसके इस्तेमाल से बचकर प्रदूषण कम किया जा सकता है.
मिट्टी के दिए जलाएं
इस मौके पर घरों को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीये जलाना सबसे बेस्ट रहता है, लेकिन अब इनकी जगह चमचमाती लाइट्स ने ले ली है। इससे बिजली की खपत बढ़ती है। बेहतर होगा कि घरों को मिट्टी से बने दीयों से रोशन किया जाए। और इन फैंसी लाइट्स पर निर्भरता जरा कम की जाए।
घर से बाहर निकलते समय मास्क का करें इस्तेमाल
दीवाली के बाद कुछ दिनों तक मास्क पहनकर बाहर निकलना चाहिए क्योंकि पटाखों की वजह से हवा में प्रदूषण का स्तर सामान्य दिनों की तुलना में काफी ज्यादा रहता है इसलिए मास्क पहनकर काफी हद तक बचा जा सकता है.
मच्छर मारने वाली दवाओं का छिड़काव
आपने देखा होगा कि मलेरिया और डेंगू से निपटने के लिए कई जगहों पर दवा का छिड़काव कराया जाता है. दीवाली के बाद भी आपको अपने आसपास इन दवाओं का छिड़काव कराना चाहिए…Next
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