#metoo कैम्पेन भारत में भी ट्रैंड कर रहा है। बीते दिनों तनुश्री दत्ता ने अपने साथ 2008 में हुए यौन शोषण मामले में नाना पाटेकर का नाम लेकर फिल्म जगत का स्याह चेहरा सबसे सामने ला दिया। इसके बाद से फिल्म जगत में काम करने वाली महिलाएं अपने साथ हुए यौन शोषण की घटनाएं सबके सामने ला रही हैं। इसी कड़ी में कई मशहूर सितारों पर यौन शोषण के आरोप लग चुके हैं। साथ ही आम महिलाएं भी इस कैम्पेन का बढ़-चढ़कर हिस्सा बन रही हैं। ये ऐसा पहला मौका नहीं है, जब कोई कैम्पेन चर्चा का विषय बना रहता है। इससे पहले भी यौन शोषण और लैंगिक समानता को लेकर कई कैम्पेन वायरल हो चुके हैं।
बेल बजाओ कैम्पेन
2008 में घरेलू हिंसा को रोकने के लिए ‘बेल बजाओ’ कैम्पेन शुरू हुआ था। इस कैम्पेन में घर में किसी भी तरह की हिंसा का शिकार हो रही महिलाओं को लेकर जिम्मेदार नागरिक बनने की पहल थी।
इसमें कहा गया था कि अगर आपके आसपास किसी महिला पर घरेलू हिंसा हो रही है, तो सबकुछ देखने या सुनने की बजाय उनके घर की बेल बजाना या कुंडी खटखटाकर हिंसा करने वाले व्यक्ति को एहसास दिलाना कि हम आपके बारे में सबकुछ जानते हैं कि आप क्या कर रहे हो?
घरेलू बात या घर की बात का हवाला देते हुए जो लोग हिंसा करते हैं, उन्हें सबक सिखाने की बात कही गई थी।
पिंक अंडरवियर कैम्पेन
2009 में मैंगलोर में पब में लड़कियों के एक ग्रुप पर अट्रैक हुआ था। इस अट्रैक में उन युवा कपल्स को शिकार बनाया गया था, जो अपनी मर्जी से वैलेंटाइन डे पर एक साथ घूम रहे थे। इसमें साथ घूम रहे प्रेमी जोड़ों को निशाना बनाते हुए कहा गया था कि 14 फरवरी को जो भी लड़का-लड़की पश्चिमी सभ्यता को अपनाते हुए साथ पाएं जाएंगे, उनकी शादी करवा दी जाएगी।
ये धमकी ‘श्रीराम सेना’ के कार्यकर्ताओं ने दी थी। श्रीराम सेना के हवाले से कहा गया था कि “हमारे कार्यकर्ता हल्दी और मंगलसूत्र लेकर हर तरफ घूमेंग़े, जैसे ही कोई जोड़ा दिखेगा, उसकी शादी करवा दी जाएगी”
इसका विरोध जताने के लिए कई कपल्स और जानी-मानी हस्तियों ने श्रीराम सेना के दफ्तर पर पिंक अंडरवियर भेजनी शुरू कर दी। कैम्पेन के दौरान हजारों की तादाद में अंडरवियर दफ्तर में भेजी गई थी।
चप्पल मारूंगी! कैम्पेन
यौन शोषण और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं पर अपना विरोध जताने के लिए इस कैम्पेन की शुरुआत हुई थी। गली-मुहल्लों में आती-जाती लड़कियों पर फब्तियां कसने, सीटी मारने और छेड़छाड़ करने वाले लोगों को चप्पल, सेंडिल मारकर सबक सिखाने की बात की गई थी।
2011 में इस कैम्पेन की शुरुआत मुंबई से हुई थी।
पिंजड़ा तोड़ कैम्पेन
2015 में शुरू हुए इस कैम्पेन की वजह थी कॉलेज और पीजी में लड़कियों के लिए बनाए गए अलग-अलग नियम। जिसमें 7 बजे के बाद लड़कियों को घर में ही रहने और उनके कपड़ों, मिलने-जुलने वाले लोगों को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए थे। इन दोहरे नियमों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए दिल्ली के कई कॉलेज के स्टूडेंट्स इस कैम्पेन में शामिल थे। बाद में इस कैम्पेन में कई बातें जोड़ी गई। पीजी, हॉस्टल और कॉलेज में लड़कियों के लिए कर्फ्यू जैसे माहौल के खिलाफ था ये कैम्पेन…Next
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