लड़कों के बीच लड़को जैसी पोशाक पहने वो लड़की बेशक कुछ सहमी-सी दिख रही थी लेकिन वो वहां से जाने को तैयार नहीं थी. वो कोई आलीशान स्कूल तो नहीं था लेकिन उसमें वहीं सब पढ़ाया जाता था जो दुनिया के किसी भी स्कूल में पढ़ाया जाता होगा. उसका मकसद सिर्फ उस तालीम को हासिल करना था इसलिए वो लड़की से लड़का बनने को मजबूर हो गई थी.
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उसने बचपन से ही लड़कों की तरह दिखने के लिए बहुत मेहनत की थी. 25 साल की बसीज रसिख नाम की लड़की को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए लड़कों के बीच उन जैसे ही कपड़े पहनकर और उनकी जैसी भारी आवाज में बोलना सीखने के लिए खासी मेहनत का सामना पड़ा. दरअसल रसिख अफगानिस्तान के तालिबानी शासन वाले क्षेत्र में रहती थी. जब वो 6-7 साल की छोटी बच्ची थी उसके माता-पिता ने बताया तालिबानियों ने लड़कियों को पढ़ाने-लिखाने पर सख्त पाबंदी लगा रखी है. लेकिन अपने आसपास के लड़कों को स्कूल जाते हुए देखकर उनके मन में पढ़ने की तीव्र इच्छा जागती थी. ऐसे में उसे इतनी कम उम्र में एक उपाय सूझा. वो लड़कों के स्कूल में बाल कटवाकर और उनकी तरह कपड़े पहनकर जाने लगी.
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इसी तरह कई साल गुजर जाने के बाद 14 साल की आयु में, वो अफगानिस्तान से भाग गई जिससे की उसकी पढ़ाई जारी रह सके. तालिबान के इस तुगलकी फरमान के बारे में रसिख बताती हैं ‘वो नहीं चाहते कि हम तालीम हासिल करें जबकि हम आधी आबादी में आते हैं. नई पीढ़ी पढ़-लिख कर पुरानी परम्परा को तोड़ता चाहती है. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है पर मैं इसे नामुमकिन भी नहीं मानती.’ रसिख इस परेशानी को झेलने वाली एकलौती लड़की नहीं है. अफगानिस्तान के अधिकांश इलाकों में तालिबान का कब्जा है. उन्होंने कई तुगलकी फरमान जारी किए हैं. जिसमें लड़कियों को नहीं पढ़ाने के लिए सख्त हिदायत दी गई है. इसलिए बचपन से पढ़ने की चाह रखने वाली लड़कियों को विदेशों का रुख करना पड़ता है…Next
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