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सरकार ने बैन की फटाफट आराम देने वाली 328 दवाएं, जानें क्या है पिल्स एडिक्शन और कैसे बन रही है ये मानसिक बीमारी

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर घर जाकर या ऑफिस में ही सिरदर्द होना आम बात है. पूरे दिन काम की थकावट के बाद शरीर और दिमाग इतना थका रहता है कि घर जाकर नींद भी नहीं आती. ऐसे में अगर सिरदर्द या पैरदर्द हो, तो पूरी रात के साथ अगला दिन भी खराब हो जाता है.
बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनका सिरदर्द आम बन चुका है, वो फटाफट आराम पाने के लिए हमेशा पैन रिलीफ पिल्स साथ रखते हैं. अगर आप भी ऐसे ही लोगों की गिनती में आते हैं, तो जरा संभल जाइए, ये आदत धीरे-धीरे मानसिक रोग बन सकती है. सरकार ने 328 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) दवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इन दवाओं को अब देश में बनाया या बेचा नहीं जा सकेगा। बैन दवाओं में कई ऐसी हैं, जिन्हें लोग फटाफट आराम पाने के लिए खुद से खरीद लेते हैं। कई दवाएं सिरदर्द, जुकाम, दस्त, पेट दर्द जैसी बीमारी में ली जाती हैं। आपको बता दें कि एफडीसी दवाएं मरीजों के लिए खतरनाक होती हैं, कई देशों में इन पर बैन भी है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal13 Sep, 2018

 

 

क्या है पिल्स एडिक्शन
आपने अपने आसपास गौर किया होगा कि कई लोगों के बैग या पर्स में हमेशा पेनकिलर दवाएं रहती हैं. वो सिरदर्द, पेटदर्द या पैर दर्द होने पर बिना कारण जानें ही गोली खा लेते हैं. धीरे-धीरे उनको पेनकिलर खाने की इतनी आदत पड़ जाती है कि जब तक वो सिरदर्द की गोली न खा लें, उन्हें आराम नहीं पहुंचता. ऐसे में चाहें आप उनको कोई भी सलाह दें लेकिन वो गोली खाए बिना नहीं मानते. वो हर दर्द में केमिस्ट शॉप से खरीदी हुई दवाएं खा रहते हैं.

 

पिल्स एडिक्शन बन सकती है मानसिक बीमारी
ऐसे में जब भी हम दर्द होने पर बिना डॉक्टरी सलाह के पेनकिलर लेते हैं, तो हमारे दिमाग को शांति का एहसास होता है और गोली न लेने की सूरत में दिमाग में एक तरह की हलचल और तनाव बना रहता है. इसे सॉइकोलॉजी से जोड़कर देख सकते हैं. ऐसे में हमेशा किसी भी दर्द में पेनकिलर ही हमें सबसे कारगर लगती है.

 

 

क्या होती हैं एफडीसी दवाएं
एफडीसी दवाएं वह होती हैं, जिन्हें दो या उससे ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाया जाता है। इन दवाओं पर देश में एक लंबे समय से विवाद हो रहा है। हेल्थ वर्कर्स के साथ ही संसद की एक समिति ने भी इन पर सवाल उठाए हैं।

समिति का कहना है कि ये बिना मंजूरी के और अवैज्ञानिक तरीके से बनाई गई हैं। इनमें कई ऐंटीबायॉटिक दवाएं भी शामिल हैं। जिन एफडीसी पर विवाद हो रहा है, उन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की मंजूरी के बिना ही देश में बनाया और बेचा जा रहा था। इन एफडीसी को राज्यों ने अपने स्तर पर मंजूरी दे दी थी। केंद्र इसे गलत मानता है। उसका कहना है कि किसी भी नई ऐलोपैथिक दवा को मंजूरी देने का अधिकार राज्यों को नहीं है।

इन दवाओं सहित 328 दवाओं पर लगा बैन
जिन दवाओं पर रोक लगाई गई है, उनमें सेरिडॉन, विक्स ऐक्शन 500, कोरेक्स, सुमो, जीरोडॉल, फेंसिडील, जिंटाप, डिकोल्ड और कई तरह के एंटीबायॉटिक्स, पेन किलर्स, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं। अभी और भी कई एफडीसी दवाएं हैं, जो देश में बिक रही हैं। माना जा रहा है कि सरकार 500 और एफडीसी पर रोक लगा सकती है…Next 

 

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