दिग्गज फिल्मकार और अभिनेता पृथ्वीराज कपूर ने फिल्मों में गीत लिखने का निवेदन मशहूर कवि गोपाल दास नीरज से किया तो उन्होंने भीड़ के सामने उन्हें मनाकर दिया। सबके सामने उनकी बात नहीं रखने से पृथ्वीराज कपूर आहत हो गए और तैश में आकर मुंबई लौट आए। बाद में देवानंद गोपाल दास नीरज को मनाने आए।
पहले कविता संग्रह से छा गए
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में 4 जनवरी 1925 को जन्मे गोपाल दास नीरज बड़े होकर मशहूर कवि और लेखक बने। शुरुआती दिनों में ही उनकी कविताओं ने साहित्य जगत में तहलका मचा दिया। 1944 में जब वह किशोर उम्र के ही थे तभी उन्होंने संघर्ष कविता संग्रह लिखकर साहित्यकारों के बीच चुनौती पेश कर दी। दो साल बाद ही उन्होंने अंर्तध्वनि कविता संग्रह लिख डाला। कविताएं लिखने का सिलसिला ऐसा शुरु हुआ कि गोपालदास के लिए फिल्म इंडस्ट्री के लोग फिल्मों के लिए गीत लिखवाने आने लगे।
संघर्ष में गुजरे शुरुआती दिन
गोपाल दास नीरज का बचपन का नाम गोपालदास सक्सेना था। जब वह 6 वर्ष के थे तभी पिता के निधन से नौकरी करने की जरूरत उन्हें महसूस होने लगी। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने खर्च चलाने के लिए टाइपिस्ट का काम करने लगे और अपने शौक को मुकाम पर ले जाने के लिए कविताएं लिखने लगे। इटावा कचहरी और दिल्ली में टाइपिस्ट का काम करते हुए उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज में भी नौकरी की। इस दौरान उन्होंने हिंदी साहित्य में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल कर ली।
कवि सम्मेलनों की जान बने
गोपालदास नीरज के लगातार चार कविता संग्रह प्रकाशित होने के बाद वह बड़े साहित्यकारों में गिने जाने लगे। इस बीच उनसे फिल्मों में गीत लिखवाने के लिए कई फिल्मकार मिलने पहुंचे पर गोपाल दास ने सभी को अपनी कविताएं फिल्मों के लिए बिकाऊ नहीं होने की बात कहकर टाल दिया। बाद में पृथ्वीराज कपूर भी गोपाल दास से मिलने कानपुर पहुंचे। यहां कवि सम्मेलन के बाद पृथ्वीराज कपूर ने गोपाल दास से उनकी फिल्मों में गीत लिखने का प्रस्ताव रखा तो गोपाल दास ने उन्हें भी मना कर दिया।
देवानंद ने फिल्मी गीत लिखने को मनाया
मुंबई वापस लौटे पृथ्वीराज कपूर को गोपालदास नीरज के मना करने से आहत देखकर देवानंद से रहा नहीं गया। देवानंद उन दिनों बड़े स्टार थे और वह पृथ्वीराज कपूर के अच्छे मित्र भी थे। देवानंद ने गोपालदास नीरज से संपर्क किया और मिलने का प्रस्ताव रखा। देवानंद के काफी मनाने के बाद गोपाल दास नीरज ने सिर्फ उनकी खातिर फिल्मी गीत लिखने की बात कहकर मान गए।
भारत सरकार ने दो बार सम्मनित किया
गोपाल दास नीरज ने पृथ्वीराज कपूर की मशहूर फिल्म मेरा नाम जोकर के लिए ‘ए भाई! ज़रा देख के चलो’ गीत लिखा। यह गीत इतना पॉपुलर हुआ कि लोगों की जुबान पर रट गया। इसके बाद गोपाल ने फिल्म शर्मीली, प्रेम पुजारी, रेशमा और शेरा, रिवाज, गुनाह और रेशम की डोरी जैसी कई फिल्मों के लिए गीत लिखे। उन्हें गीत ‘काल का पहिया घूमे रे भइया’, ‘बस यही अपराध में हर बार करता हूं’ और ‘ऐ भाई जरा देख के चलो’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। गोपाल को भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने पद्म श्री, यश भारती, पद्मभूषण पुरस्कार समेत मंत्री पद का विशेष दर्जा दिया।…Next
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