उसके हाथ कसकर बांध दिए गए थे. उसके पैरों को भी रस्सी में इस तरह जकड़ दिया गया था, जिससे कि वो गलती से भी न खुल जाएं. वो डरी-सहमी नजरों से सबको देख रहा था लेकिन उसके चेहरे पर एक मौन आक्रोश था. मानो वो आसपास खड़ी इंसानों की भीड़ को कोस रहा हो. उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वो इंसान नहीं बल्कि एक जानवर था. उसे नहीं पता था कि उसे अपनी भूख की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. मुम्बई में एक बंदर को खाना चुराने के कारण भीड़ ने कुछ ऐसी ही सजा दी.
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दरअसल स्थानीय लोगों का कहना था कि ये बंदर पिछले छह महीनों से दुकानदारों को परेशान कर रहा था. ये रोज अपने खाने के लिए कुछ न कुछ चुराता था. वहीं अक्सर आसपास रखे सामान को भी नुकसान पहुंंचाता था. लोग इसकी हरकतों से काफी परेशान हो चुके थे इसलिए कोई रास्ता न सूझते हुए लोगों ने मिलकर इस बंदर को सबक सिखाने का फैसला किया.
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इस बंदर को पकड़ने में लोगों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा. लोगों ने इसे इतनी बुरी तरह पकड़ा कि पकड़ने के दौरान इसे कई जगह पर चोटे भी आ गई. साथ ही इसकी गर्दन, हाथ और पैरों को एक पतली रस्सी से इतना जकड़कर बांधा गया जिससे बंदर दर्द से कराहने लगा. लेकिन वो कहते हैं न कि ‘भीड़ की कोई सोच, कोई वजूद नहीं होता’ इसी बात को सही साबित करते हुए भीड़ का मन बंदर की दयनीय हालत को देखकर भी नहीं पसीजा बल्कि उसे पकड़कर पिंजरे में डाल दिया गया.
हांलाकि, कुछ समय बाद वन विभाग से संपर्क करके, घटना की पूरी जानकारी दी गई. दूसरी ओर वन विभाग अधिकारियों ने कुछ समय बाद कार्यवाही करते हुए बंंदर को आजाद करवाकर उत्तरी मुम्बई भेज दिया गया है. जहां उसकी नई जिदंगी की शुरूआत होगी. लेकिन बंदर के साथ किए गए इस क्रूर व्यवहार को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग किस कदर अमानवीय होते जा रहे हैं…Next
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