इंसान के अच्छे समय में सब उसके पास होते हैं, उसे खुशियों की बधाई देते हैं, उसकी खुशी का हिस्सा बनते हैं, इतना ही नहीं उसके सच्चे मित्र होने का आश्वासन देते हैं लेकिन यही लोग बुरे समय में कहां चले जाते हैं? किसी ने सच ही कहा है कि अच्छा समय आसानी से और बहुत जल्दी कट जाता है, लेकिन बुरा समय कठिनाईयों व परिश्रम से भरपूर होता है. जो कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेता, यूं लगता है कि इंसान को चारों ओर से इस बुरे समय ने घेर लिया है और यह वक्त उसकी जान लेकर रहेगा. कुछ ऐसा ही समय होता है जब आप बेहद बीमार होते हैं, और जब बीमारी ही कुछ ऐसी हो जिस कारण आपकी मौत निश्चित हो तो आप अत्यंत शोक में डूब जाते हैं. खुद को अकेला पाते हैं और अपने अंतिम समय आने तक का इंतजार करते हैं, कुछ ऐसी ही बीमारी है एड्स की. जी हां, मानव इम्युनोडिफीसिअन्सी वायरस/ एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम यानि एचआईवी एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसके हो जाने से रोगी की मौत निश्चित है बस डॉक्टरों द्वारा दी गई दवाइयां उस इंसान को कुछ और पलों तक जिंदा रखने के लिए मददगार साबित होती है.
किस जमाने में जी रहे हैं हम?
समाज की मार भी झेलनी पड़ती है. आप कहीं भी चले जाओ, चाहे भारत में या विदेश में, आपको आमतौर पर एड्स रोगियों के साथ बुरा व्यवहार देखने को मिल जाएगा. हाल ही का मामला ले लीजिए जब समाज में तीन यात्रियों को हवाई जहाज में सिर्फ इस कारण से उतार दिया गया क्योंकि उनमें से दो व्यक्तियों को एचआईवी एड्स था. यह घटना 28 जुलाई, 2014 की है जब चाइनीज स्प्रिंग एयरलाइंस के तीन यात्रियों की टिकटें रद्द कर दी गईं और उन्हें रेल यात्रा द्वारा अपनी मंजिल तक पहुंचने का आदेश दिया गया.
एड्स है तो आप यात्रा नहीं कर सकते….
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ये तीनों यात्री जब हवाई जहाज में चढ़ने ही वाले थे कि उन्हें कुछ अधिकारियों द्वारा अंदर जाने से रोका गया और कहा गया कि आप तीनों में से कोई एक व्यक्ति एंड्स संक्रमित है. पूछताछ के बाद पता चला कि एक नहीं बल्कि तीन में से दो यात्री एड्स से संक्रमित हैं। यह पता चलते ही तीनों यात्रियों को जहाज से नीचे उतार दिया गया और यह कहा गया कि कंपनी के नियमों के मुताबिक कोई भी एचआईवी एड्स संक्रमित मरीज इस एयरलाइंस पर सफर नहीं कर सकता. तीसरा यात्री उन दोनों यात्रियों का मित्र था इसलिए उसे भी हवाई जहाज से उतार दिया गया.
महंगा पड़ा अपमान करना
यह घटना उन तीनों के लिए अपमानजनक थी और हो भी क्यों ना, कोई भी व्यक्ति ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता. इसका जवाब मांगने का निश्चय करते ही तीनों ने कोर्ट में इस एयरलाइंस के खिलाफ केस दर्ज करा दिया जिसके मुताबिक एयरलाइंस से 5,000 यूरो व लिखित में माफी मांगने की मांग रखी गई. उधर कोर्ट ने तीनों की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए एयरलाइंस के खिलाफ फैसला सुनाया. वैसे तो एड्स को लेकर विभिन्न तरह की जानकारियां लोगों को दी जाती है जिन्हें जानना बहुत ही आवश्यक है, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है यह समझना कि एड्स रोगी भी हमारी तरह इंसान हैं और उन्हें भी पूरे मान-सम्मान से जीने का हक है.
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