अक्सर हम वायु में प्रदूषकों की बढ़ती मात्रा के बारे में खबरें पढ़ते हैं. ऐसे में किसी आम व्यक्ति के लिए ये अंदाजा लगाना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि आखिर वायु में कितना प्रदूषण है ये बात पता कैसे चलती है. आज हम आपको वायु प्रदूषण से जुड़ी ऐसी ही बातों के बारे में बताएंगे.
क्या है पीएम 2.5
PM 2.5, पीएम कण के बारे में बताता है और 2.5 या 10 कण के आकार के बारे में बताता है. PM2.5 सबसे छोटे वायु कणों में से होते हैं और इनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर के आसपास होता है. अति सूक्ष्म कण होने की वजह से ये PM2.5 कण आसानी से हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और हमारे लीवर, लंग्स आदि को प्रभावित करने लगते हैं.
खतरे भी कुछ कम नहीं
PM10 कणों को रेस्पॉयरेबल पर्टिकुलेट मैटर भी कहा जाता है. ये धूल के कणों के आकार तक के होते हैं. फैक्ट्रियों, सड़क या अन्य निर्माण कार्यों के समय ऐसे कण बड़ी मात्रा में निकलते हैं. PM2.5 कण सूक्ष्म आकार के होने के कारण आसानी से हमारी सांसों के जरिये अंदर जाकर हमारे फेफड़ों, लंग्स और लीवर आदि को प्रभावित करने लगते हैं. PM2.5 कणों के कारण खांसी, जुकाम आदि समस्याओं से लेकर अस्थमा और दिल से जुड़ी बीमारियां तक होने का खतरा होता है. PM2.5 कण डीजल वाहनों आदि से कार्बन कणों के साथ भी निकलते हैं जिनसे कैंसर तक होने का खतरा होता है, एक अनुमान के अनुसार PM2.4 के कारण हर साल दुनियाभर में औसतन 31 लाख लोगों की मृत्यु होती है. PM2.5 कणों के वायु में घुले होने के कारण सांस लेने पर ये अंदर जोते हैं जिनके कारण लोगों की औसत आयु तक में कमी आने लगती है.
नॉर्मल PM वैल्यू क्या है
PM 10 के कणों का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूाबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए. जबकि दिल्ली में यह कुछ जगहों पर 1600 तक भी पहुंच चुका है. पीएम 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 एमजीसीएम होता है लेकिन यह यहां 300 से 500 तक पहुंच चुका है. एक अनुमान के अनुसार दो दिन पहले दिल्ली में प्रदूषण रूपी धुंध, कोहरे और धुएं का ये हाल था कि अगर कोई व्यक्ति बिना मास्क लगाये एक बार सांस लेता है तो उसे अंदर 25 सिगरेट पीने जितना धुंआ चला जाएगा जो कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण बनता है…Next
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