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जीवन को उलझा देता है दूसरा विवाह

unhappy coupleभारतीय परिदृश्य में विवाह को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है. परंपरागत समाज होने के नाते विवाह को ना सिर्फ एक पारिवारिक मसला माना जाता है बल्कि इसे एक ऐसी सामाजिक संस्था का दर्जा भी दिया जाता है जिसे धर्म और रिवाजों के अनुरूप बांधा गया है. विवाह के पश्चात संबंधित महिला और पुरुष एक-दूसरे के प्रति पूरी तरह समर्पित हो जाते हैं. हालांकि विवाह जैसा संबंध महिला और पुरुष दोनों के परिवारों को भी प्रभावित करता है लेकिन मुख्य तौर पर यह विवाहित दंपत्ति के खुशहाल जीवन के लिए कार्य करता है.


लेकिन हर वैवाहिक संबंध हैप्पी मैरिड लाइफ की गारंटी नहीं लेता. रिश्तों में उतार-चढ़ाव सभी के जीवन में आते हैं. लेकिन कभी-कभार पति-पत्नी के बीच की समस्याएं, मनमुटाव, कलह असहनीय बन जाते हैं. हालात इतने खराब हो जाते हैं कि उन दोनों का एक साथ रहना तक दूभर बन जाता है. आपसी परेशानियों और मतभेदों का नकारात्मक प्रभाव परिवार और व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता देख वह अलग होने का निर्णय कर लेते हैं. वह अपने संबंध-विच्छेद को कानूनी मान्यता दिलाने के बाद अपनी-अपनी राह चल पड़ते हैं.


परिवार के दबाव के कारण या फिर अपने सुरक्षित भविष्य के लिए तलाकशुदा महिला और पुरुष दूसरे विवाह के लिए राजी हो जाते हैं. इस उम्मीद से कि शायद यह संबंध उनके पिछले कटु अनुभव की यादें मिटाने में सहायक हो सकें. लेकिन दूसरे विवाह से जुड़े अधिकांश मामलों में यही देखा गया है कि व्यक्ति चाहे कितना ही अपने अतीत को भुलाने की कोशिश करे लेकिन पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितियां उसे कुछ भी भूलने नहीं देतीं. ऐसे में दांपत्य जीवन में तनाव पैदा होना लाजमी होता है.


एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम करने वाली नेहा ने दो वर्ष पहले अपने पति से तलाक लिया था. तलाक के एक वर्ष बाद ही उसके साथ काम करने वाले रोहित ने उसके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा. रोहित, नेहा के पिछले संबंध के विषय में सब कुछ जानता था. उसे पता था कि संबंध के टूटने में नेहा का कोई दोष नहीं था. उसने नेहा को दूसरे विवाह के लिए राजी कर लिया. विवाह के बाद रोहित ने कभी भी नेहा के साथ पिछले संबंध से जुड़े मसलों पर बात करने के लिए विवश नहीं किया. दोनों एक खुशहाल वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे थे. लेकिन रोहित के अभिभावक नेहा से हमेशा पिछले संबंध के बारे में पूछताछ करते रहते थे. संबंध क्यों टूटा, क्या परेशानियां थीं आदि जैसे सवाल नेहा को भीतरी चोट पहुंचाने लगे थे. नेहा ने कई बार रोहित से इस विषय में बात करनी चाही लेकिन रोहित हमेशा यही कहता था कि उसके माता-पिता के प्रश्नों को नजरअंदाज कर दिया जाना चाहिए. रोहित अपने संबंध के प्रति प्रतिबद्ध था और नेहा के साथ एक खुशहाल जीवन जी रहा था. नेहा भी अपने वैवाहिक जीवन में तनाव नहीं चाहती थी इसीलिए वह जैसे-तैसे अपने सास-ससुर की बातों को अनसुना करती रही.


वहीं दूसरी ओर पूजा ने एक ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन साथी के रूप में चुन लिया जिसका 3 वर्ष पूर्व अपनी पहली पत्नी से तलाक हो चुका था. लेकिन अब भी उसका पति अपनी पहली पत्नी के संपर्क में रहता है. यह बात पूजा को बिलकुल पसंद नहीं आती, लेकिन मनमुटाव से बचने के लिए वह यह सब सहन कर लेती है. हालात तो तब और बदतर हो जाते हैं जब उसका पति उसकी तुलना अपनी पहली पत्नी से करने लगता है.


नेहा और पूजा जैसी परेशानियां ऐसे अधिकांश व्यक्तियों के जीवन में आती हैं जो अपने अतीत को भुलाने और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए दूसरा विवाह करने का निर्णय लेते हैं. चाहते या ना चाहते हुए भी पिछला संबंध वर्तमान जीवन को तनावग्रस्त बना देता है.


कभी व्यक्ति दूसरा विवाह करने के बाद भी अपने पहले पति या पत्नी से दोस्ती का संबंध निभाने लगता है तो कभी संबंधित व्यक्ति के अभिभावक या परिवार वाले व्यावसायिक या निजी तौर पर उसके पूर्व जीवन-साथी के संपर्क में रहते हैं.


अगर पहले संबंध से संतान होती है तो उसकी खुशी के लिए तलाक के बाद भी महिला और पुरुष को एक-दूसरे के संपर्क में रहना पड़ता है.


भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवार आज भी तलाक जैसी व्यवस्थाओं को नैतिक रूप से स्वीकार नहीं करते लेकिन शहरी क्षेत्रों में तलाक की शब्दावली दिनोंदिन प्रचलित होती जा रही है. आज महिला और पुरुष दोनों ही आत्मनिर्भर बनने की चाह रखते हैं. स्वावलंबन की यह चाह उन्हें अपने तक सीमित कर देती है. कॅरियर और व्यक्तिगत जरूरतों की पूर्ति ही अधिकांश विवाहित जोड़ों के बीच मनमुटाव का कारण बनती है.


वैवाहिक संबंधों में समस्याएं पैदा होना कोई नई बात नहीं है लेकिन पिछले 8-10 वर्षों के बीच तलाक के मामलों में अत्याधिक वृद्धि देखी गई है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि पहले विवाहित दंपत्ति और उनके परिवार समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते थे. लेकिन अब झगड़ों को सुलझाने की बजाय लोग एक-दूसरे से अलग हो जाना ही बेहतर विकल्प समझते हैं.


ना सिर्फ परंपरागत विवाह शैली में बल्कि प्रेम विवाह के बाद भी तलाक लेने जैसे कई मामले देखे जा सकते हैं. विवाह के पश्चात निश्चित तौर पर उत्तरदायित्वों के क्षेत्र में वृद्धि होती है. कभी-कभार एक-दूसरे को समय देना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में संबंध को स्थायी और स्वस्थ बनाए रखना पति-पत्नी दोनों का ही कर्तव्य बन जाता है.


वर्तमान परिदृश्य में लोग इसलिए भी तलाक के प्रति आकर्षित होने लगे हैं क्योंकि उनकी सोच बहुत हद तक परिवर्तित हो चुकी है. पहले परिवार और वैवाहिक संबंध को ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य माना जाता था वहीं आज अपनी खुशी के लिए व्यक्ति कुछ भी कर सकता है. उनका मानना है खुश रहने के लिए जरूरी नहीं है कि विवाह जैसे संबंध का निर्वाह किया जाए.


हां, यह बात जरूर है कि कभी-कभी संबंधों के अंदरूनी हालात इतने बदतर हो जाते हैं कि साथ में रहना संभव नहीं हो पाता. लेकिन जो संबंध सुधारे जा सकते हैं उन्हें तोड़ना किसी के लिए भी हितकर नहीं हो सकता. भले ही आपको लगे कि इससे बेहतर कोई अन्य मिल सकता है लेकिन वास्तविकता यही है कि पहले संबंध की यादें और लगाव को भुला पाना बहुत कठिन होता है. खुशहाल दूसरे विवाह की पहली शर्त ही भावनात्मक चोट को वहन करना है. परिवार की मूल संरचना ही सहयोग, समर्पण, प्रेम, त्याग और सहनशक्ति पर आधारित होती है. इसीलिए किसी भी निर्णय तक पहुंचने से पहले भविष्य और अतीत से जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान से परख लें.


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