माना जाता है कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव के लिए युवाओं को शासन व्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी देनी चाहिए, जबकि कुछ लोगों का ये भी तर्क है कि अनुभवी लोग ही देश के मौजूदा हालातों को सुधार सकते हैं. इस बारे में हमेशा से दो तरह की विचारधारा देखने को मिली है. बहरहाल, इस विचारधारा से परे एक शासन व्यवस्था से जुड़ा एक ऐसा मामला देखने को मिला, जिसके बारे में जिसने भी सुना वो हैरान रह गया.
(प्रतीकात्मक तस्वीर )
पुणे के भाम्बुरवड़ी गांव में एक 94 साल की महिला को निर्विवाद सरपंच चुना गया. गंगूबाई निवरूत्ति भम्बूरे नाम की इस महिला को सभी प्यार से ‘आजी’ बुलाते हैं. ग्राम पंचायत के सभी सदस्यों ने इस फैसले का स्वागत किया है. इस पद के लिए चुने जाने के बाद गंगूबाई भम्बूरे ने कहा ‘मैं किसी को निराश नहीं करूंगी. मैं किसी युवा और शिक्षक की तरह गांव के घर-घर जाकर हर समस्या पर खुलकर बात करूंगी. मुझे धूप या बारिश की कोई परवाह नहीं है.
बहुत गर्व की बात है. ये काम करने का समय है, वरना मुझे सरपंच बनने का कोई फायदा नहीं है.’ गांव के एक कार्यकर्ता ने बताया ‘इस फैसले को सुनते ही मीडिया और गांववालों का जमावड़ा नई सरपंच गंगूबाई के घर के बाहर लग गया.
इतने प्यार और प्रोत्साहन को देखकर गंगूबाई ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा ‘मुझे लोगों से बात करना बेहद पसंद है. मुझे किसी की कोई समस्या को सुनने में कोई परेशानी नहीं है, मैं हर एक शब्द सुन और समझ सकती हूं’. बुधवार को सरपंच पद नियुक्त होते ही गंगूबाई ने अपना पहला काम सभी को बताया. उन्होंने कहा कि सबसे पहले वो 7 गावों के 250 किसानों की मदद करेंगी. इन किसानों के पास अपनी 1,000 हेक्टेयर की कृषि भूमि है, लेकिन पानी की कमी के चलते साल में करीब 8 महीने वो इसपर कोई खेती नहीं कर सकते.
वहां 2 किलोमीटर से भी कम दायरे में एक नहर फैली हुई है, लेकिन वहां से भी इन किसानों को एक बूंद भी पानी नहीं मिलती. सबसे दिलचस्प बात ये है कि गंगूबाई ने 50 वोटों से राजनीतिक परिवार से सम्बध रखने वाली एक कद्दावर महिला नेता को हरा दिया. गंगूबाई ने कभी स्कूल नहीं गई है…Next
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