आने वाले वक्त में भारत पर मंडरा सकता है गर्म हवाओं का साया, IPCC रिपोर्ट की खास बातें
बीते कुछ सालों में ग्लोबल वार्मिंग का मुद्दा बहुत जोर पकड़ रहा है। हम बचपन से ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े मुद्दों के बारे में पढ़ते आ रहे हैं लेकिन बीते कुछ सालों में हमें प्रदूषण का स्तर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, जिससे अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये समस्या कितनी खतरनाक होती जा रही है। पिछले साल दिल्ली और आसपास के राज्यों में स्मॉग का कहर बरपा था। जिससे कई लोग बीमारियों की चपेट में आ गए थे। अब देश पर एक और खतरा मंडराने की आशंका जताई जा रही है।
Pratima Jaiswal9 Oct, 2018
दरअसल, जलवायु परिवर्तन पर दुनिया की सबसे बड़ी समीक्षा रिपोर्ट में भारत के लिए बड़ी चेतावनी दी गई है। इसमें बताया गया है कि यदि दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो भारत को 2015 की तरह जानलेवा गर्म हवाओं का सामना करना पड़ेगा, जिसमें कम से कम 2,500 लोग मारे गए थे।
IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) की रिपोर्ट की मुख्य बातें
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उपमहाद्वीप में कोलकाता और पाकिस्तान के कराची में गर्म हवाओं का सबसे अधिक खतरा है। कोलकाता और कराची में वार्षिक परिस्थिति 2015 की तरह हो सकती है।
गर्म हवाओं से होने वाली मौतों में वृद्धि हो रही है और इसमें क्लाइमेंट चेंज की बड़ी भूमिका है। ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकने के लिए मानवीय कार्बन उत्सर्जन में 2010 के स्तर से 2030 तक 45 फीसदी कमी की आवश्यकता है, जिसे 2050 तक शून्य करना होगा।
IPCC रिपोर्ट से संकलित ‘1.5 हेल्थ रिपोर्ट’ को लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और क्लाइमेट ट्रैकर ने कहा है कि 2 डिग्री सेल्यिस तापमान बढ़ने पर भारत और पाकिस्तान पर सबसे बुरा असर होगा। क्लाइमेट चेंज की वजह से खाद्य असुरक्षा और गरीबी में वृद्धि, खाद्य पदार्थों की महंगाई, आमदनी में कमी, आजीविका अवसरों में कमी, जनसंख्या पलायन और खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याएं भी होंगी।
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से गरीबी भी बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ग्लोबल वॉर्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस की बजाय 1.5 डिग्री सेल्यिस तक रोकने से 2050 तक करोड़ों लोग क्लाइमेट चेंज से जुड़े खतरों और गरीबी में जाने से बच जाएंगे।’ यह सीमा मक्का, धान, गेहूं और दूसरे फसलों में कमी को भी रोक सकती है…Next
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