कहते हैं जब हम किसी जरूरतमंद को सहयोग देते हैं, तो हम सही मायनों में मजबूत और सशक्त कहलाते हैं। दूसरों को सशक्त बनाने या एहसास कराने से हम मजबूत बनते हैं। इसी तरह दिव्यांग को एक कदम और आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से भी कई प्रयास किए जा रहे हैं।
ऐसे में अगर आपका कोई करीबी या दोस्त दिव्यांग है, तो आपको उन्हें मिलने वाली मदद के बारे में जानना चाहिए। साथ ही कई ऐसी बातों के बारे में जानकारी भी जरूर रखनी चाहिए, जो दिव्यांग साथियों के काम आ सकती है। आज यानी 3 दिसंबर को ‘इंटरनैशनल डे फॉर डिसेबल्ड पर्सन’ है।
सरकार ने डिफरेंटली एबल्ड लोगों के लिए कई सुविधाएं दी हुई हैं। कई बार कम जानकारी की वजह से लोग सभी सुविधाओं का फायदा नहीं ले पाते, लेकिन जब सुविधाएं हैं तो उनका फायदा उठाना चाहिए।
ट्रेन में मिलने वाली सुविधाएं
डिफरेंटली एबल्ड व्यक्ति एक अटैंडेंट के साथ रेल में रियायती दर पर टिकट खरीदकर यात्रा कर सकते हैं। डिफरेंटली एबल्ड के साथ में सफर कर रहा अटैंडेंट भी इन रियायतों का हकदार है।
– सेकंड क्लास, स्लीपर, फर्स्ट क्लास, थर्ड एसी, एसी चेयरकार में 75%
– फर्स्ट एसी और सेकंड एसी में 50%
– राजधानी/शताब्दी गाड़ियों की थर्ड एसी और एसी चेयरकार में 25%
– एमएसटी और क्यूएसटी में 50%
इसके साथ ही अगर कोई डेफ ऐंड म्यूट शख्स अगर किसी भी काम के लिए अकेले या किसी सहयोगी के साथ यात्रा कर रहा है तो-
– सेकंड क्लास, स्लीपर और फर्स्ट क्लास में 50%
– एमएसटी और क्यूएसटी में 50%
इन जरूरी कागजातों की पड़ सकती है जरूरत
दृष्टिहीनों के लिए
आंखों के अस्पताल या डॉक्टर से (कम से कम एमबीबीएस) द्वारा जारी प्रमाणपत्र की कॉपी, जिसमें लिखा हो कि व्यक्ति पूरी तरह दृष्टिहीन है।
लोकोमोटर विकलांगता से पीड़ित
80% और उससे ज्यादा हाथ-पांव की कमियों से पीड़ित व्यक्ति इस श्रेणी में छूट पाने के हकदार हैं। इसके लिए चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) या सरकारी अस्पताल द्वारा गठित बोर्ड से जारी प्रमाणपत्र चाहिए।
एजुकेशन से जुड़ी जानकारी यहां से मिल सकती है
आमतौर पर नर्सरी या क्लास वन में ऐडमिशन में परेशानी नहीं होती, लेकिन क्लास 6 या उससे ऊपर के क्लास में ऐडमिशन चाहते हैं तो थोड़ी दिक्कत होती है। दरअसल, ये स्कूल उन बच्चों को ज्यादा तरजीह देते हैं जिन्हें ब्रेल अच्छे से आती है ताकि क्लास में बच्चे टीचर द्वारा बताई गई बातों को सही ढंग से नोट कर सकें।
स्पेशल स्कूल
जैसे ब्लाइंड स्कूल, नैब स्कूल आदि। इस तरह के स्कूल दिल्ली, मुंबई समेत देश के तमाम शहरों में मिल जाएंगे। यहां पर सिर्फ उन्हीं बच्चों को ऐडमिशन दिया जाता है, जिन्हें देखने में समस्या होती है।
सामान्य स्कूल
इसे इंटिग्रेटिड एजुकेशन सिस्टम भी कह सकते हैं। इस व्यवस्था में विजुअली चैलेंज्ड बच्चों को सामान्य बच्चे के साथ पढ़ना होता है। कई जानकार इस व्यवस्था को अलग से ब्लाइंड स्कूल शुरू करने से बेहतर मानते हैं क्योंकि इससे डिफरेंटली एबल्ड बच्चे का विकास बेहतर तरीके से होता है। बच्चों में आत्मविश्वास के साथ सोसाइटी के मैनर्स भी डिवेलप होते हैं। इसकी सबसे बड़ी चुनौती है डिफरेंटली एबल्ड बच्चों के लिए अलग टीचर्स, बुक्स आदि की व्यवस्था करना। देश में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां इस तरह की व्यवस्था है।
वैसे तो देश के हर राज्य में स्पेशल स्कूल और सामान्य स्कूल मौजूद हैं जहां पर ऐसे बच्चों को पढ़ाया जा सकता है, लेकिन कुछ स्कूल तो काफी अच्छे हैं। यहां पर कुछ बेहतरीन स्कूल से जुड़ने के लिए वेबसाइट्स दी जा रही हैं ताकि पूरी जानकारी मिल सके:
nivh.gov.in
nabindia.org
blindrelief.org
यहां से मिल सकती है किसी भी प्रकार की मदद
आप अगर किसी दिव्यांग की मदद करना चाहते हैं, तो इन सरकारी संस्थाओं से संपर्क कर सकते हैं। यहां आपको दिव्यांगों से जुड़ी किसी प्रकार की अन्य जानकारी मिल सकती है।
नेशनल हैंडिकैप्ड फाइनेंस ऐंड डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन
(मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस ऐंड एंपावरमेंट)
रेड क्रॉस भवन, सेक्टर 12, फरीदाबाद-121007
फोन: 0129 2287512] 2287513, 2226910
ईमेल: nhfdc97@gmail.com
इंदिरा गांधी नेशनल डिसेबिलिटी पेंशन स्कीम (आईजीएनडीपीएएस)
अगर कोई डिफरेंटली एबल्ड गरीबी रेखा के नीचे है और उसके पास बीपीएल कार्ड है तो वह 300 रुपये प्रति महीने पेंशन पाने का हकदार है…Next
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