‘तोड़ चलो यह जंजीरे कि तुम्हारे पास खोने को कुछ नहीं और पाने के लिए पूरा जहां है’
कार्ल मार्क्स ने कुछ ऐसे ही क्रांतिकारी विचारों के साथ दुनिया भर के मजदूरों को एकजुट होने के लिए कहा था। आज मजदूर दिवस है, आइए जानते हैं कैसे हुई इस दिन की शुरुआत और इससे जुड़ी खास बातें।
कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत
अंतराष्ट्रीदय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी। अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर निश्चयय किया कि वे 8 घंटे से ज्यामदा काम नहीं करेंगे। जिसके लिए संगठनों ने हड़ताल किया। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ। जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्याेदा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा।
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत
भारत में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्माशन में मनाया जाता है। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तामन ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। हालांकि, उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था।
मजदूर दिवस के क्रांतिकारी विचार
काम पैसा कमाने के लिए नहीं है; आप जीवन का औचित्य साबित करने के लिए काम करते हैं।
-मार्क चगल
कोई व्यक्ति इसलिए बेकार नहीं है क्योंकि वो ख़यालों में खोया हुआ है। एक दिखाई देने वाला काम है और एक ना दिखाई देने वाला।
-विक्टर ह्यूगो
भगवान श्रम की कीमत पर हमें सभी चीजों को बेचता है।
-लियोनार्डो दा विंसी
श्रम एक मात्र प्रार्थना है जिसका उत्तर प्रकृति देती है।
-रॉबर्ट ग्रीन इंगरसोल
काम पर एक बुरा दिन नरक में एक अच्छे दिन की तुलना में बेहतर है।
-स्कॉट जॉनसन
वो जो मेहनत से काम करता है उसे कभी निराश होने की ज़रुरत नहीं है; क्योंकि सभी चीजें परिश्रम एवं श्रम से प्राप्त की जाती हैं।
-मेंइंडर
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