हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश में बालिका गृह में यौन शोषण के मामले सामने आने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले। जिन आश्रमों को आश्रय समझकर छोटी बच्चियों को पालने-पोसने के लिए रखा जाता था, वहां उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया। शुरुआती जांच में जो बातें सामने आई, वो बातें जांच करने वाले अधिकारियों के लिए भी काफी चौंका देने वाली बात थी। धीरे-धीरे जब देश के कई बड़े आश्रयों की जांच की गई, तो बेहद घिनौने मामले निकलकर सबके सामने आए।
अब राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा समिति (एनसीपीसीआर) की एक सोशल ऑडिट रिपोर्ट में देश के बाल गृहों की भयावह स्थिति सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्यादातर बाल पोषण गृह अनिवार्य मानकों और नियमों को अनदेखा कर रहे हैं और बहुत कम बाल गृह ही नियमों के मुताबिक चल रहे हैं।
इस वजह से मांगी गई थी रिपोर्ट
बीते दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश में बालिका गृह में यौन शोषण के मामले सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के ऐसे बालगृहों की ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी। एनसीपीसीआर ने जस्टिस मदन बी लोकुर, एस अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की बेंच को इस बारे में जानकारी दी।
2,874 बाल आश्रय गृहों में से सिर्फ 54 के मिले पॉजिटिव रिव्यू
इस रिपोर्ट की सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है अब तक जांच दलों द्वारा देखे गए कुल 2,874 बाल आश्रय गृहों में से केवल 54 को ही सभी छह जांच समितियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। बाकी सभी मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। इसी तरह अब तक ऑडिट किए गए 185 शेल्टर होम्स में से केवल 19 में ही सभी बच्चों के 14 रेकॉर्ड्स मिले हैं जिनका होना जरूरी है…Next
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