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कैफी आजमी ने आजमगढ़ क्‍या छोड़ा लड़कियां अपना घर छोड़ने लगीं, मशहूर शायर के अनुसने किस्‍से

दुनिया के मशहूर शायर, गीतकार और बड़े साहित्‍यकार कैफी आजमी को देश की आजादी का ऐसा चस्‍का लगा कि उन्‍होंने घर छोड़ दिया। किशोरावस्‍था से ही कलम की गिरफ्त में आए कैफी आजमी ने आंदोलन गीत लिखने लगे और अंग्रेजों की चूलें हिलने लगीं। जब देश आजाद हो गया तो उनकी कलम से इश्‍क, मोहब्‍बत और दिलबर के हाल बयान होने लगे। आलम यह हो गया कि लड़कियां उनकी शायरी दीवानी हो गईं और अपना घर छोड़ने को तैयार हो गईं।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan14 Jan, 2020

 

 

 

 

 

11 साल की उम्र में लिखी गजल और लोकप्रिय हुए
कैफी आजमी का जन्‍म आज यानी 14 जनवरी 1919 को उत्‍तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था। उनका असली नाम सैय्यद अख्‍तर हुसैन रिजवी था और वह शुरुआत से ही साहित्‍य के प्रति रुचि रखते थे। यह रुचि आजादी के आंदोलनों के दौरान उस वक्‍त परवान चढ़ने लगी जब महात्‍मा गांधी के विचार कैफी आजमी के कानों में पड़े। 11 साल की उम्र में ही कैफी आजमी आजादी का ख्‍वाब पाल आंदोलनों में हिस्‍सा लेने लगे और अपनी पहली गजल ‘इतना तो जिंदगी में’ लोगों के सामने पेश की।

 

 

 

 

कानपुर में नेतागिरी की और शेर लिखे
आंदोलनों के दौरान सुनाई गई उनकी पहली गजल इतनी लोकप्रिय हुई कि उन्‍हें मुशायरों में शामिल होने के लिए बुलाया जाने लगा। 24 साल की उम्र में कैफी आजमी ने कानपुर के टेक्‍सटाइल मिल की मजदूर यूनियन में मजबूत पैठ बनाई। इसके बाद कैफी आजमी बड़े शायरों में शुमार होने लगे। वह अखबारों में अपने कलाम, शायरी लिखने लगे। वह तब के मशहूर शायर जॉन ऐलिया, पीरजादा कासिम के साथ मुशायरों में शरीक हुआ करते थे। मुशायरों में शामिल होने के दौरान उनका नाम कैफी आजमी पड़ा।

 

 

 

 

 

 

ऑटोग्राफ के बहाने लिपट जाती थीं लड़कियां
ऐसा कहा जाता है कि आजादी के दौरान आलम यह हो गया कि वह जिस शहर के मुशायरे में शामिल होते वहां लड़कियों की लाइन लग जाती। लड़कियां अपने घरवालों को नजरअंदाज कर उनकी शायरी सुनने चोरी चुपके मुशायरे में पहुंच जाती थीं। 1947 में हैदराबाद में एक मुशायरे में वह हिस्‍सा लेने पहुंचे। वहां उनकी शायरी सुन लड़कियां दीवानी हो गईं। ऑटोग्राफ लेने के लिए लड़कियां उनके ऊपर गिरी जा रही थीं। इनमें से एक लड़की थी शौकत, जिसकी शादी तय हो चुकी थी। लेकिन, वह कैफी आजमी के प्‍यार में इस कदर दीवानी हुई कि अपनी सगाई तोड़ ली। यह लड़की बाद में जाकर कैफी की पत्‍नीं बनीं।

 

 

 

 

 

इश्‍क, आंदोलन और फिल्‍मों के सम्‍मानित हुए
कैफी आजमी ने आजादी, मुहब्‍बत और सामाजिक कहानी बयां करती शायरी, गीत भी लिखे। कैफी के गीतों को फिल्‍मों में इस्‍तेमाल किया गया। उनका लिखा गीत ‘कर चले हम फिदा’ आज भी स्‍वतंत्रता अगस्‍त और गणतंत्र दिवस को हमारे कानों में गूंजने लगता है। कैफी ने 1973 में आई चर्चित फिल्‍म गर्म हवा की पटकथा, संवाद और गीत लिखे। इसके लिए उन्‍हें तीन फिल्‍मफेयर अवॉर्ड दिए गए। उन्‍हें भारत सरकार ने पद्मश्री और साहित्‍य अकादमी फेलोशिप से सम्‍मानित किया।…NEXT

 

 

 

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