तीन तलाक बिल (2018) को लोकसभा ने पारित कर दिया है। अब इसे राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इसके बाद ही यह कानून की शक्ल ले सकेगा। सदन में मौजूद 256 सांसदों में से 245 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि 11 सदस्यों ने इसका खिलाफ अपना वोट दिया। इसके साथ ही सदन में असदुद्दीन ओवैसी के तीन संशोधन प्रस्ताव भी गिर गए। कई अन्य संशोधन प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं मिली।
क्या है इंस्टेट ट्रिपल तलाक
तलाक़-ए-बिद्दत या इंस्टेंट तलाक दुनिया के बहुत कम देशों में चलन में है, भारत उन्हीं देशों में से एक है। एक झटके में तीन बार तलाक़ कहकर शादी तोड़ने को तलाक़-ए-बिद्दत कहते हैं। ट्रिपल तलाक़ लोग बोलकर, टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए या व्हॉट्सऐप से भी देने लगे हैं। एक झटके में तीन बार तलाक़ बोलकर शादी तोड़ने का चलन देश भर में सुन्नी मुसलमानों में है लेकिन सुन्नी मुसलमानों के तीन समुदायों ने तीन तलाक़ की मान्यता ख़त्म कर दी है। हालांकि देवबंद के दारूल उलूम को मानने वाले मुसलमानों में तलाक़-ए-बिद्दत अब भी चलन में है और वे इसे सही मानते हैं। इस तरीक़े से कितनी मुसलमान महिलाओं को तलाक़ दिया गया इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है।
क्या हैं कानून प्रावधान
तीन तलाक़ कानून में तीन साल जेल का प्रावधान किया गया है।
इसके तहत तीन तलाक़ गैरज़मानती होगा और अभियुक्त को ज़मानत थाने में नहीं दी जा सकती। सुनवाई से पहले ज़मानत के लिए उसे मजिस्ट्रेट के पास जाना होगा। यहां पत्नी की सुनवाई के बाद ही पति को ज़मानत मिल सकेगी।
मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेंगे कि ज़मानत तभी दी जाए जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवज़ा देने पर सहमत हो।
विधेयक के अनुसार मुआवज़े की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी।
लोकसभा में पास होने के बाद भी क्या है पेच
अब पहली समस्या यह है कि मौजूदा संसद सत्र 8 जनवरी तक ही चलना है और अगर इस बार भी बिल राज्यसभा में अटक जाता है तो सरकार को दोबारा अध्यादेश लाना पड़ेगा। क्योंकि, यह अंतिम सत्र है लिहाजा नई सरकार और नई संसद के समक्ष ही इस बिल को दोबारा लाया जा सकेगा। जिसमें काफी वक्त लग सकता है…Next
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