Menu
blogid : 316 postid : 1389888

बाप-दादा की प्रॉपटी में आपको कितना है अधिकार? जानें क्या है हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम

आमतौर पर हमारे समाज में ऐसा होता है, कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसका बेटा उसकी जायदाद का हकदार बन जाता है। जबकि बेटियों को जायदाद के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ती है। दरअसल, कानूनी नियम और सामाजिक मान्यता दो अलग बातें है, जिसे समझने के लिए हमें हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम के बारे में जानना पड़ेगा।
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी प्रापर्टी के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पिता की पूरी संपत्ति बेटे को नहीं मिल सकती क्योंकि अभी मां जिंदा है और पिता की संपत्ति में बहन का भी अधिकार है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal8 Aug, 2018

 

इस मामले पर किया फैसला
दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति का बंटवारा हुआ।
कानूनी तौर पर उनकी संपत्ति का आधा हिस्सा उनकी पत्नी को मिलना था और आधा हिस्सा उनके बच्चों (एक लड़का और एक लड़की) को, लेकिन बेटे ने अपनी बहन को प्रॉपटी देने से साफ इंकार कर दिया। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा क्योंकि अभी मृतक की पत्नी जिंदा हैं तो उनका और मृतक की बेटी का भी संपत्ति में समान रूप से हक बनता है।
साथ ही कोर्ट ने बेटे पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया क्योंकि इस केस की वजह से मां को आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव उठाना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि बेटे का दावा ही गलत है।

 

 

2005 में संशोधन के बाद बदल गया है नियम
साल 2005 से पहले की स्थिति अलग थी और हिंदू परिवारों में बेटा ही घर का कर्ता हो सकता था और पैतृक संपत्ति के मामले में बेटी को बेटे जैसा दर्जा हासिल नहीं था। लेकिन 2005 के संशोधन के बाद कानून ये कहता है कि बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबरी का हक है।
हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम की खास बातें यह क़ानून हिंदू धर्म से ताल्लुक़ रखने वालों पर लागू होता है। इसके अलावा बौद्ध, सिख और जैन समुदाय के लोग भी इसके तहत आते हैं, लेकिन संपत्ति में हक़ किसे होगा और किसे नहीं- ये समझने के लिए ज़रूरी ये जानना है कि पैतृक संपत्ति किसे कहते हैं?
इसके अलावा एक पहलू ये भी है कि अगर किसी पैतृक संपत्ति का बंटवारा 20 दिसंबर 2004 से पहले हो गया है तो उसमें लड़की का हक़ नहीं बनेगा। क्योंकि इस मामले में पुराना हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम लागू होगा और बंटवारे को रद्द भी नहीं किया जाएगा।
किसी व्यक्ति की पैतृक संपत्ति में उनके सभी बच्चों और पत्नी का बराबर का अधिकार होता है।

 

क्या है पैतृक संपत्ति
किसी भी पुरुष को अपने पिता, दादा या परदादा से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति, पैतृक संपत्ति कहलाती है। बच्चा जन्म के साथ ही पिता की पैतृक संपत्ति का अधिकारी हो जाता है। संपत्ति दो तरह की होती है। एक वो जो खुद से अर्जित की गई हो और दूसरी जो विरासत में मिली हो।
अपनी कमाई से खड़ी गई संपत्ति स्वर्जित कही जाती है, जबकि विरासत में मिली प्रॉपर्टी पैतृक संपत्ति कहलाती है।
पैतृक संपत्ति बेचने के लिए सभी हिस्सेदारों की सहमति लेना जरूरी हो जाता है। किसी एक की भी सहमति के बिना पैतृक संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता है। लेकिन अगर सभी हिस्सेदार संपत्ति बेचने के लिए राज़ी हैं तो पैतृक संपत्ति बेची जा सकती है।

हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम के अंतर्गत पैतृक संपत्ति की परिभाषा भी बताई गई है, जिसे समझना बेहद जरूरी है।
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बेटे-बेटी को प्रॉपटी में सामान अधिकार मिलने की बात साफ होती दिखाई देती है। इससे समाज में समानता का भाव भी स्थापित होता है, बस समाज को अपनी सोच खोलने की जरुरत है…Next

 

Read More :

1978 में आई थी यमुना में बाढ़, दिल्ली को बाढ़ से बचाने वाले ये हैं 10 बांध

मोबाइल पर अब देखें आधार अपडेट हिस्ट्री, ऑनलाइन अपटेड की भी है सुविधा

ट्रेन का टिकट किया है कैंसल, तो ऑनलाइन ऐसे करें रिफंड का पता

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh