‘यदि लगातार झगड़े होते रहेंगे तथा शत्रुता होती रहेगी तो हमारी जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। परस्पर लड़ने की बजाय हमें गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना चाहिए. दोनों देशों की आम जनता की समस्याएं, आशाएं और आकांक्षाएं एक समान हैं. उन्हें लड़ाई-झगड़ा और गोला-बारूद नहीं, बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता है’
लाल बहादुर शास्त्री की ऐसी बातें, जो आज इतने दशकों बाद भी सही साबित होती है क्योंकि दुर्भाग्य से हम आज भी भूख, गरीबी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं. आज इतने दशकों बाद भी हम इन सभी समस्याओं को जड़ से खत्म नहीं कर पाए हैं. लाल बहादुर शास्त्री जितने तार्किक व्यक्ति थे, उतने ही भावुक भी थे. एक घटना के अनुसार वो एक बॉलीवुड फिल्म को देखकर रोने लगे थे.
1965 को रिलीज हुई थी शहीद
मनोज कुमार अभिनीत ‘शहीद’ फिल्म 1965 में रिलीज हुई थी. फिल्म में भगतसिंह का किरदार मनोज कुमार ने निभाया था, जबकि सुखदेव का किरदार प्रेम चोपड़ा ने अदा किया था. उस दौर को याद करते हुए एक इंटरव्यू में प्रेम चोपड़ा ने बताया था ‘शास्त्री जी इस फिल्म को देखकर इतने भावुक हो गए थे कि उनकी आंखें भर आई थी. उनके पास ज्यादा वक्त नहीं था, ये बात उन्होंने शुरू में ही बता दी थी कि उन्हें किसी जरूरी काम से जाना है और वो पूरी फिल्म नहीं देख सकेंगे, लेकिन फिल्म शुरू होते ही उन्हें फिल्म इतनी पसंद आई कि वो सीट से उठ नहीं सके और उनकी आंखें भर आई. उन्हें रोते हुए देखकर आसपास बैठी टीम उनके पास आ गई थी’.
मनोज कुमार को दी बधाई, किसानों पर फिल्म बनाने का दिया सुझाव
फिल्म में मनोज कुमार की एक्टिंग से प्रभावित होकर शास्त्री जी ने मनोज कुमार को बधाई दी और उन्हें किसानों के ऊपर कोई फिल्म बनाने को कहा. शास्त्री जी की बात मानते हुए मनोज कुमार ने ‘उपकार’ फिल्म बनाई, जो सुपरहिट रही.
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