चीन में आज उन्हें ‘ट्री सोल्जर’ (पेड़ों का सिपाही) कहा जाता है. 62 साल की उम्र और दोनों ही पैरों से अपाहिज. बैसाखी के सहारे चलते हुए पिछले दस सालों में इस दिलेर इंसान ने 3000 हजार पेड़ लगाए हैं. कभी सेना में सिपाही रहते हुए बॉर्डर पर लड़ाई करने वाला यह इंसान आज चीन में पर्यावरण का रक्षक बन गया है. दुनिया के सामने इस जिंदादिल इंसान का यह साहसी कारनामा सामने आने पर अब यह चीन ही नहीं पूरी दुनिया में पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित मसीहा बन गया है. पर साहसी कहकर, तमाम अलंकारों से संबोधित कर इनकी तारीफ करना दुनिया के लिए जितना आसान है उतना आसान इनके लिए यह काबिले तारीफ काम करना नहीं था. सरहद पर लड़ते हुए पैर गंवाते तो शायद एक बार के लिए दिल को सुकून होता कि देश के लिए त्याग किया लेकिन जिस तरह, जिसके लिए इनके पांव गए किसी के लिए यह भयावह सपने से कम नहीं होगा. उन्हें शायद पता न हो लेकिन जितना बड़ा उनके लिए यह सदमा था, दुनिया के लिए उससे बड़ी प्रेरणा इस सदमे से निकलने के लिए की गई उनकी कोशिश थी.
सालों पहले रिटायर्ड श्री मा सैन जिओ को ‘सेप्सिस’ नाम की एक भयानक बीमारी हुई. शायद जिओ को उसके इतने भयानक अंजाम का अंदाजा नहीं होगा लेकिन इस बीमारी ने उन्हें दोनों पैरों से अपाहिज कर दिया. सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान का खून बैक्टीरिया से लड़ने के लिए सेंसिटिव हो जाता है. शरीर में एंटी-बैक्टीरियल हार्मोन इतने अधिक बनने लगते हैं कि वह अपने ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है. कई बार इसमें इंसान की जान भी चली जाती है. जिओ के केस में भी सेप्सिस के कारण उनके शरीर का खून संक्रमित हो गया और धीरे-धीरे उनकी दोनों टांगों ने काम करना बंद कर दिया. जिओ का पहला पैर 1984 में ही काम करना बंद हो चुका था, 2004 में उन्होंने दूसरा पैर भी खो दिया.
Read More: पांच वर्ष की उम्र में मां बनने वाली लीना की रहस्यमय दास्तां
किसी के लिए यह बड़े सदमे से कम नहीं होगा. ऐसी स्थिति में शायद कोई जीने से हार मान ले लेकिन जिओ ने खुद को न सिर्फ इस सदमे से बाहर निकाला बल्कि दुनिया के लिए एक हर परिस्थिति में जीने और अपना महत्व कायम करते हुए जीने की मिसाल कायम की.
जिओ सुबह 5 बजे ही उठते हैं. अपने नकली पैर लगाकर पेड़ लगाने के अभियान पर निकल पड़ते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिओ का वृक्षारोपण साधारण जमीन पर नहीं बल्कि पहाड़ों पर होता है. बिना किसी की मदद के वे पहाड़ों की चढ़ाई कर पूरे दिन पेड़ लगाते हैं.
Read More: 7 साल के बच्चे ने मरने से पहले 25000 पेंटिंग बनाई, विश्वास करेंगे आप?
पर यह इतना आसान नहीं होता है. 100 मीटर पहाड़ी की चढ़ाई में उन्हें 40 मिनट लगते हैं. साधारणतया लोग स्प्रिंग सीजन में पेड़ लगाते हैं लेकिन जिओ पूरे साल गड्ढ़े खोदकर इसकी तैयारी करते हैं.
जिओ इसे एक चुनौती मानते हैं. उनके शब्दों में, “मुझे चढ़ाई में परेशानी तो होती है पर मुझे पता है कि यह एक सच्चाई है और मुझे इसके साथ ही रहना है. मैंने अपने आप से कहा कि हालांकि मैं बाकी लोगों से बहुत अलग हूं लेकिन मुझे इसके लिए शिकायत नहीं करनी और इसे स्वीकार करना है. मुझे यकीन है कि मैं हर मुश्किल को पार कर सकता हूं और मैं कभी हार नहीं मानूंगा”.
Read More: उस खौफनाक मंजर का अंत ऐसा होगा……..सोचा ना था
पहली बार जब उनके एक पैर ने काम करना बंद किया तो हर आम इंसान की तरह वह भी बहुत हताश थे. इलाज के लिए हर संभव कोशिश की. अपने घर की लगभग हर कीमती चीज बेच दी और बड़े कर्ज में डूब गए. 2011 में उत्तरी चीन के सुदूर बंजर पहाड़ी इलाकों में उन्होंने पेड़ बेचकर पैसे कमाने के मकसद से पेड़ लगाना शुरू किया था. बाद में पेंशन की रकम बढ़ जाने से उनकी हालत में सुधार हुआ. तब जिओ ने उन पेड़ों को कभी न काटकर उसे पर्यावरण की बेहतरी के लिए लगे रहने देने का संकल्प लिया.
Read More: कौन है इंसान की शक्ल में पैदा होने वाला यह विचित्र प्राणी? जानिए वीडियो के जरिए
कई बिजनेसमेन ने जिओ को इन पेड़ों को बेचने का ऑफर दिया. कई ने बहुत अधिक पैसे भी ऑफर किए लेकिन जिओ ने उसे ठुकरा दिया. जिओ इन पेड़ों को प्रकृति का रक्षक सैनिक मानते हैं. वे अब और अधिक पेड़ लगाने की सोच रहे हैं. जिओ की यह कहानी आज भी गुमनाम ही होती अगर एक फोटोग्राफर ने उनके लगाए जंगल और उनकी कहानी का वीडियो इंटरनेट पर न डाला होता. आज चीन के अलावे बाहरी देशों में भी जिओ अपनी इस महान संकल्पशक्ति के लिए चर्चा का विषय बन गए हैं. स्थानीय प्रशासन और कुछ संस्थाओं ने उन्हें व्हील चेयर, सिंचाई के उपकरण और पौधे दिए हैं पर जिओ को इनकी कोई खास जरूरत नहीं.
[dailymotion]http://dailymotion.com/video/xikguo_tree-soldier-inspiration-to-many_news[/dailymotion]
Read More:
27 साल बाद उसने अपनी वास्तविक मां को खोज ही लिया, आखिर कैसे?
उसे परेशान करने वाले की हकीकत जब दुनिया के सामने आई तो जो हुआ वो चौंकाने वाला था
Read Comments