Menu
blogid : 316 postid : 1390532

4 मिनट से ज्यादा न लगाएं कानों में हेडफोन, 12 से 35 की उम्र के लोगों को ज्यादा खतरा

आप किसी के कानों में कोई बात कहना चाहो, तो कह नहीं पाओगे क्योंकि ज्यादातर लोगों के कानों में हेडफोन का पहरा है लगा हुआ है। मेट्रो, बस, ट्रेन, कॉलेज, ऑफिस और यहां तक की घर जाते वक्त भी हेडफोन लगाकर बात करना या गाने सुनना हमारी आदत में शुमार हो चुका है। ऐसे में बिना हेडफोन के दिन बिताना कुछ लोगों के लिए काफी मुश्किल होता जा रहा है लेकिन आपको बता दें कि 4 मिनट से ज्यादा हेडफोन लगाकर गाने सुनना आपके लिए खतरनाक हो सकता है। यूनाइटेड नेशन्स की एजेंसियों की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि स्मार्टफोन में म्यूजिक सुनने और लगातार तेज आवाज के संपर्क में रहने की वजह से दुनियाभर के करीब 1 अरब से ज्यादा लोगों पर बहरेपन का खतरा है। इस समस्या को खत्म करने के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी की गई है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal15 Feb, 2019

 

 

12 से 35 वर्ष के लोगों को ज्यादा खतरा
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों को इस भयानक बीमारी का खतरा है, उनकी उम्र 12 से 35 वर्ष के बीच है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन WHO ने बताया कि हियरिंग लॉस की समस्या के चलते दुनियाभर में 750 मिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान है। WHO के तकनीकी अधिकारी के अनुसार दुनियाभर के एक अरब से ज्यादा युवाओं को स्मार्टफोन पर तेज गाना सुनने में मजा आता है। वे इसके लिए इयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इससे वह बहरेपन का शिकार हो सकते हैं या उनकी सुनने की ताकत कम हो सकती है।

 

 

फोन में वॉल्यूम कंट्रोल यूज करें
हम सभी के स्मार्टफोन में एक साउंड कंट्रोलिंग सिस्टम होता है, जो आपको बताता है कि आपको कितनी साउंड मिल रही है और आप साउंड लिमिट से ऊपर जा रहे हैं या नहीं। ऐसे में अगर बहरेपन का शिकार होने से बचना है तो स्मार्टफोन में दी गई उस गाइडलाइंस को जरूर फॉलो करें। इसके अलावा आप बहरेपन का शिकार होने से बचने के लिए ऐसी डिवाइस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें ऑटोमैटिक वॉल्यूम कंट्रोल हो। कान में तेज आवाज होने पर आवाज अपने आप कम हो जाए…Next

 

 

Read More :

सोशल मीडिया पर झूठे प्यार में फंसने के खिलाफ पुलिस ने छेड़ा अभियान, जानें क्या है रोमांस स्कैम

20 मौतों में से एक की वजह शराब, WHO की 500 पन्नों की रिपोर्ट में सामने आई ये बातें

2,874 बाल आश्रय गृहों में से सिर्फ 54 के मिले पॉजिटिव रिव्यू, NCPCR की रिपोर्ट सामने आई ये बातें

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh