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मध्‍य प्रदेश के गांव की 100 साल में भी नहीं बढ़ी जनसंख्‍या, कारण जानकर विश्‍वास नहीं कर पाएंगे आप

दुनिया के कई देश अपनी बढ़ती जनसंख्‍या से परेशान होकर इसके नियंत्रण के रोजाना नए नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। भारत समेत चीन भी जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए कई तरह के नियम बना रखें हैं। बावजूद जनसंख्‍या में बढ़ोत्‍तरी हो रही है। इन सबके बीच भारत के मध्‍य प्रदेश राज्‍य का एक गांव जनसंख्‍या नियंत्रण में नई मिसाल बना दी है। इस गांव की आबादी करीब 100 साल बाद भी नहीं बढ़ी है। इस बात पर विश्‍वास करना थोड़ा मुश्किल जरूर लगता है पर ये सच है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan13 Nov, 2019

 

 

 

 

1922 से जनसंख्‍या नियंत्रण पर जोर
आईएएनएस की खबर के मुताबिक मध्‍य प्रदेश के बैतूल जिले के धनोरा गांव की आबादी पिछले 97 सालों से एक ही है। यहां की जनसंख्‍या 1700 है, जिसमें इजाफा नहीं हुआ है। गांव के जनसंख्‍या नियंत्रण के दावा थोड़ा हैरान करने वाला जरूर है। गांव के लोगों के मुताबिक जनसंख्‍या नियंत्रण के पीछे एक पुराना किस्‍सा है। गांव के एसके माहोबया ने बताया कि 1922 में यहां एक बैठक के दौरान जनसंख्‍या को लेकर चिंता जताई गई थी और विचार विमर्श के बाद से जनसंख्‍या नियंत्रण पर काम शुरू किया गया था।

 

 

 

 

कस्‍तूरबा गांधी के नारे को लोगों ने अपनाया
एसके महोबया ने बताया कि तब गांव में कांग्रेस के पदाधिकारियों ने जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर बैठक की थी। इस बैठक का नेतृत्‍व कस्‍तूरबा गांधी ने किया था। उनके नेतृत्‍व के चलते इस बैठक में गांव के लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्‍सा लिया था। कस्‍तूरबा गांधी ने लोगों से छोटा परिवार रखने की गुजारिश की थी। उन्‍होंने ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ का नारा भी दिया था। इस नारे से गांव के लोग प्रभावित हुए और नारे को अपने जीवन में अपना लिया।

 

 

 

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छोटा परिवार के फायदे को लोगों ने समझा
स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता के तौर पर काम करने वाले स्‍थानीय निवासी जगदीश सिंह के मुताबिक धनोरा गांव के लोगों ने परिवार नियोजन को लेकर एक मॉडल पूरी दुनिया के सामने पेश किया है। देश के अन्‍य शहर, कस्‍बे और गांव यहां के लोगों की तरह मजबूत धारणा के बलबूते जनसंख्‍या नियंत्रण में भागीदारी दिखा सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि धनोवा गांव के लोगों ने बिना किसी दबाव के जनसंख्‍या बढ़ोत्‍तरी के दुष्‍परिणामों को समझकर दो से ज्‍यादा बच्‍चे नहीं करने का संकल्‍प लिया है।

 

 

 

 

1700 से आगे नहीं बढ़ी आबादी
धनोरा गांव के लोगों के दो से ज्‍यादा बच्‍चे किसी के भी नहीं हैं। स्‍थानीय पत्रकार मयंक भार्गव के मुताबिक यहां के लोग लड़‍के या लड़की में भेदभाव भी नहीं करते हैं। यहां के लोग एक लड़की और लड़के यानी दो बच्‍चों की धारणा पर मजबूती के साथ टिके हुए हैं। धनोरा गांव ने अपनी आबादी को 1700 ही बरकरार रखा है। जबकि, आसपास के गांवों में 97 वर्षों में लगभग 4 गुना से भी ज्‍यादा जनसंख्‍या में बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई है।…Next

 

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