मलेरिया जानलेवा बीमारी बनता जा रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद यह जड़ से खत्म नहीं हो पा रहा है। हाल के आंकड़े काफी डरावने हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक हर साल मलेरिया से मरने वालों की संख्या 4 लाख के पार जा रही है। मलेरिया से मरने वालों में सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओं और बच्चों की है।
एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलने वाले मलेरिया रोग से पीडि़त व्यक्ति को बदन में दर्द, बुखार, तेज सर्दी लगना, मुंह सूखना, भूख न लगना और चक्कर आना प्रमुख लक्षण होते हैं। इसके इलाज के लिए सरकार में तमाम तरह की वैक्सीन और इंजेक्शन ईजाद किए हैं। हालांकि इससे बचाव की मुख्य दवा कुनैन या आर्टिमीसिनिन ही है।
मलेरिया करी 50 हजार साल पहले से लोगों को परेशान करता रहा है। तब भी यह मच्छरों के काटने के कारण ही होता था। डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 4 लाख लोग हर साल मलेरिया के कारण मौत के गाल में समा जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बीमारी का सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं हो रही हैं।
ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि यह आंकड़े सहारा अफ्रीका के हैं। यहां के देश घाना, केन्या और मलावी में मलेरिया के पहले वैक्सीन के जरिए इस्तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट के तहत अल्जीरिया और अर्जेंटीना देश मलेरिया से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। इन दोनों देशों की सरकारों की इसकी ऑफिशियली घोषणा भी कर दी है।
भारत में भी मलेरिया के कारण बड़ी संख्या में लोग बुखार की चपेट में आकर मौत के शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए सरकार की ओर नियमित कीटनाशक दवाओं और मच्छररोधी दवाओं के छिड़काव समेत जागरूकता कार्यक्रम लगाार चलाए जा रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इस बीमारी से बचने के लिए फुल बांह के कपड़े पहनें और सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। घरों के आसपास गंदा पानी जमा न होने दें।…Next
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