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[Male Prostitution-Gigolo] पतन की नई परंपरा पुरुष वेश्या


वेश्यावृत्ति संसार के सबसे पुराने व्यवसायों में से एक है. स्त्रियां इस धंधे में वह खिलौना होती हैं जिनके साथ जब तक मन होता है खेला जाता है और फिर वासना खत्म होने पर धन देकर छोड देते हैं. स्त्रियों का वेश्या बनना समझ में आता है कि पुरुष स्त्री वर्ग की तरफ आकर्षित रहता है और उसकी वासना स्त्री ही मिटा सकती है. लेकिन आधुनिकता, अराजकता और पश्चिमी सभ्यता में वासना की पूर्ति के लिए शायद महिलाएं काफी नही. और इनका कहना है कि यह कहां का अन्याय है कि मर्द जब चाहे तब अपनी वासना की पूर्ति के लिए वेश्याओं का सहारा ले और स्त्री अपना मन मार कर रह जाए, इसीलिए एक नए व्यवसाय का सृजन हुआ जिगोलो या पुरुष वेश्याएं.

male1“पुरुष वेश्याएं” सुनकर काफी अटपटा लगेगा लेकिन यह सच है कि आज यह लोग हमारे बीच काफी अधिक मात्रा में मौजूद हैं. जिगोलो का उपयोग महिलाएं अपनी वासना पूर्ति के लिए करती हैं. जब महिलाएं वेश्या बन कर आराम से धन कमा सकती हैं तो पुरुषों में भी यह काम काफी लोकप्रिय हो गया. जिगोलो बने पुरुषों को लगता है कि यह काम उनके लिए आम के आम गुठलियों के दाम जैसा है. और ऐसा होता भी है, लेकिन जब कड़वी सच्चाई सामने आती है तो पैरों तले जमीन खिसक जाती है. कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाने के चक्कर में एड्स और अन्य एसटीडी (यौन संक्रमित रोग) इन्हें हो जाता है.

imagesपुरुष वेश्याओं का समाज में ज्यादा प्रयोग महिलाओं द्वारा किया जाता है खासकर उम्रदराज महिलाओं और विधवाओं द्वारा. कामकाजी महिलाएं जिन्हें घर पर अपने पति से सुख नहीं मिलता वह इन जिगोलो की सर्विस का मजा लेती हैं.

लेकिन सबसे अहम सवाल कि रोजगार के इतने साधन होने के बाद भी युवा वर्ग इस दलदल भरे काम को करता क्यों है.

vtm-metadata-06सबसे पहले तो यह जिगोलो प्रणाली भारत में अन्य सामाजिक प्रदूषण की तरह पश्चिमी सभ्यता से आई जहां नंगापन सभ्यता का हिस्सा है. पश्चिमी सभ्यता के कदमों पर चलते हुए भारत में भी युवा वर्ग इस काम को करने लगा क्योंकि उसे इस काम में ज्यादा मेहनत नजर नहीं आता और कमाई चकाचक.

भारत जहां गरीबी काफी ज्यादा है और रोजगार के साधन सीमित हैं, वहां अच्छे जीवन-शैली की तो छोड़ दीजिए अगर आम जिंदगी भी जीनी है तो काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसे में बहकते युवा वर्ग को यह काम पैसा कमाने का नया और आसान तरीका लगता है.

भारत एक ऐसी जगह है जहां आपको पानी से लेकर देह सब बिकता नजर आएगा. साथ ही पश्चिमी देशों की नकल करना तो अब भारतीयों की पहली पसंद होती जा रही है. वेश्याओं का भोग करते मर्दों को देखकर उन्मुक्त हो चुकी महिलाओं को अपनी वासना की पूर्ति के लिए जिगोलो के रुप में साधन मिला. और युवाओं के लिए जब पैसा जिंदगी से बढ़कर हो तो कोई काम गंदा या बुरा नहीं मानते.

4338aलेकिन जब भी युवा वर्ग इस तरह का कोई नया काम करता है तो हमेशा इसका सही चेहरा ही उसे दिखता है. उसे इसे काम में छुपा दूसरा पहलू नजर ही नहीं आता.  जिगोलो कार्य तो लडकों को सही लगता है क्योंकि पैसों के साथ उन्हें इस काम में मजा भी आने लगता है लेकिन इतनी स्त्रियों से संबंध बनाने के बाद अक्सर उनमें से ज्यादातर एड्स या अन्य घातक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. नतीजा जब वह उम्रदराज होते हैं तो महिलाएं उन्हें इस लायक नहीं समझतीं कि वह उनसे मनोरंजन कर सकें और एड्स आदि के साए में आने से उनका विवाह करना सुरक्षित नहीं होता.

भारतीय समाज के शहरी जीवन में यह प्रदूषण कुछ ज्यादा ही फैला हुआ है क्योंकि एक तो यहां महिलाएं उतनी उन्मुक्त नहीं हैं लेकिन अंदर ही अंदर दबी भावनाओं को शांत करने का वह अक्सर इसका इस्तेमाल करने से पीछे भी नहीं हटतीं. भारतीय समाज में विधवाओं की जो हालत है उससे कोई भी अनजान नहीं और ऐसे में ऐसी महिलाएं इस नए धंधे को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाने लगती हैं.

यानी इसके समाज में आने का सबसे बडा कारण भी समाज ही है.

जिगोलो का काम कितना बुरा होता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें पुरुष वेश्या कहा जाता है. महिलाएं पुरुषों को उसी तरह इस्तेमाल करती हैं जैसे वह महिलाओं को करते हैं.

gigolo18इन सब में सबसे अहम बात छुपी रह जाती है कि भारतीय समाज में यह चीज हमारे संस्कारों और सभ्यता के लिए दीमक की भांति है. जिस युवा पीढ़ी पर जमाने भर का बोझ होता है वह चन्द मुश्किलों के आगे झुक कर इस दलदल में फंस जाता है और अपने भविष्य के साथ मजाक कर लेता है.

अगर कानूनी नजर से देखा जाए तो यह बिलकुल मान्य नहीं है. पुरुष वेश्यावृत्ति को भी वेश्यावृत्ति की तरह देखा जाता है और इसे गैर-कानूनी माना जाता है. भारत में वेश्यावृत्ति के खिलाफ कई कानून हैं लेकिन  पुरुष वेश्यावृत्ति के खिलाफ कोई ठोस कानून नहीं है . हालांकि इसके बावजूद भी भारतीय कानून इसे वेश्यावृत्ति ही मानता है. जबकि विश्व स्तर पर इसे मनुष्य के स्वतंत्रता के अधिकार से जोड़ कर देखा जाता है.

कई बार पुरुष वेश्यावृत्ति को छुपाने के लिए लिव इन रिलेशनशिप का भी सहारा लिया जाता है. ऐसे में महिलाएं साथी के साथ रहती हैं और किसी कानूनी लफड़े से भी बच जाती हैं.

पुरुष वेश्यावृत्ति को अब व्यापार से जोड़ कर देखा जा रहा है. केरल जैसे राज्यों में जहां लोग गरीब हैं वहां सैलानी अब भारत का रुख सेक्स पर्यटन के रुप में भी करने लगे हैं जहां सैलानी घूमने-फिरने की बजाय सेक्स के लिए आते हैं. सबसे बुरी हालत तो तब दिखती है जबकि इस गन्दे व्यवसाय में कई बार मासूम बच्चों को भी धकेल दिया जाता है.

जिंदगी को व्यापार बनाकर देखने वाले मानव स्वतंत्रता का उद्घोष करते नजर आते हैं और इस आड़ में अपने छुपे अनैतिक मंतव्यों को पूर्ण करने की ख्वाहिश रखते हैं. क्या भारतीय संस्कृति इतनी लाचार और कमजोर है जो ऐसे दुराचारियों के दबाव में आकर परंपराओं और संस्कृति को तोड़ देगी?

अभी भारत में समलैंगिकता और वेश्यावृत्ति तथा लिव इन रिलेशनशिप के प्रति दृष्टिकोण बदलने की बात की जा रही है. बिका हुआ मीडिया और शासन तंत्र भी रह-रह के ऐसे विचारों को समर्थन देता प्रतीत होता है. इसलिए देश की जनता को स्वयं कठोर निर्णय लेकर अपना विरोध दर्शाना चाहिए जिससे शासन को मजबूर कर के ऐसे मुद्दों पर उचित कदम उठाना पड़े.

This blog is related with Male Prostitution commonly known as Gigolo system. Prostitution is the behavior or profession of engaging in sexual acts for money. Male prostitutes are also known as male escorts, gigolos or rent-boys.

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