2 अक्टूबर को देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बापू ने हमें ‘सत्य और अहिंसा’ के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया। महात्मा गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनके बताए मार्ग का आज भी देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोग अनुसरण करते हैं। वहीं, शास्त्री जी ईमानदारी और सच्चे राष्ट्रवाद का उदाहरण बने। इन दोनों महानविभूतियों के विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइये आपको गांधी जी और शास्त्री जी के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराते हैं।
महात्मा गांधी
– ऐसे जिएं जैसे कि आपको कल मरना है और सीखें ऐसे, जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है।
– डर शरीर की बीमारी नहीं है, यह आत्मा को मारता है।
– विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता की जननी।
– जो समय बचाते हैं वे धन बचाते हैं और बचाया धन, कमाए हुए धन के समान महत्वपूर्ण है।
– आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
– आजादी का कोई मतलब नहीं यदि इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो।
– प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़ते हैं तो कुछ बूंदें आप पर भी पड़ती हैं।
– पहले वह आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर आप पर हंसेंगे, फिर आपसे लड़ेंगे और तब आप जीत जाएंगे।
– व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं उसके चरित्र से होती है।
– आप जो भी करते हैं, वह कम महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।
लालबहादुर शास्त्री
– मेरे विचार से पूरे देश के लिए एक संपर्क भाषा का होना आवश्यक है, अन्यथा इसका तात्पर्य यह होगा कि भाषा के आधार पर देश का विभाजन हो जाएगा। एक प्रकार से एकता छिन्न-भिन्न हो जाएगी। भाषा एक ऐसा सशक्त बल है, एक ऐसा कारक है, जो हमें और हमारे देश को एकजुट करता है। यह क्षमता हिन्दी में है।
– मुझे ग्रामीण क्षेत्रों, गांवों में, एक मामूली कार्यकर्ता के रूप में लगभग पचास वर्ष तक कार्य करना पड़ा है, इसलिए मेरा ध्यान स्वतः ही उन लोगों की ओर तथा उन क्षेत्रों के हालात पर चला जाता है। मेरे दिमाग में यह बात आती है कि सर्वप्रथम उन लोगों को राहत दी जाए। हर रोज, हर समय, मैं यही सोचता हूं कि उन्हें किस प्रकार से राहत पहुंचाई जाए।
– आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैं, जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेराजगारी से लड़ सकें।
– लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता।
– कानून का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और, और भी मजबूत बने।
– यदि कोई एक व्यक्ति भी ऐसा रह गया, जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए, तो भारत को अपना सिर शर्म से झुकाना पड़ेगा।
– आजादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना होगा।
– देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है और यह पूर्ण निष्ठा है, क्योंंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है।
– हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने जो जरूरी काम हैं उनमें, लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करने से बढ़कर कोई काम नहीं है।
– जो शासन करते हैं, उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंतत: जनता ही मुखिया होती है।
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