Menu
blogid : 316 postid : 1381334

नेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे: बेटियों को मिले हैं ये अधिकार, ताकि हो उनके जीवन में सुधार

देश और समाज में लड़कियों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए हर साल 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे यानी राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाया जाता है। लड़कियों को ज्यादा समर्थन और नए मौके देने के लिए 2008 में इसकी शुरुआत की गई। तब से इसे हर साल सेलिब्रेट किया जाता है। देश में लड़कियों को कई तरह के अधिकार प्राप्‍त हैं, जिससे उनका जीवन स्‍तर बेहतर बन सके। बावजूद इसके आज भी देखने को मिलता है कि लड़कियों के साथ भेदभाव अभी भी समाज में बना हुआ है। कुछ भेदभाव तो उनको दिए गए अधिकारों की जानकारी न होने के कारण भी होते हैं। आइये आपको बताते हैं कि राष्‍ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्‍य क्‍या है और देश में बालिकाओं को कौन-कौन से अधिकार प्राप्‍त हैं।


National Girl Child Day


नेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे का उद्देश्‍य

नेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे मनाने का उद्देश्‍य है कि समाज में बालिका शिशु को नए मौके मिलें। समाज में बेटियां जिस असमानता का सामना कर रही हैं उसे समाप्‍त किया जा सके। यह सुनिश्चित किया जाए कि भारतीय समाज में हर बालिका शिशु को उचित सम्मान और महत्व मिले। यह भी सुनिश्चित हो कि देश में हर बालिका शिशु को उसके सभी मानव अधिकार मिलेंगे। भारत में लिंगानुपात को बेहतर बनाने के लिए कार्य करना तथा बालिका शिशु के बारे में लोगों की धारणा सकारात्‍मक बनाना। बालिका शिशु के महत्व और भूमिका के बारे में जागरुकता बढ़ाना। उनके स्वास्थ्य, सम्मान, शिक्षा, पोषण आदि से जुड़े मुद्दों के बारे में चर्चा करना।


भारत में बालिका शिशु के अधिकार

गर्भावस्था में भ्रूण का लिंग पता करने को सरकार ने गैर कानूनी करार दिया है। ऐसा करने पर उसमें लिप्‍त सभी के लिए सजा का प्रावधान है।

देश में बाल विवाह निषेध है।

कुपोषण, अशिक्षा, गरीबी और समाज में शिशु मृत्यु दर से लड़ने के लिए सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व देखरेख जरूरी है।

बालिका शिशु को बचाने के लिए सरकार द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत की गई है।

मुफ्त और आवश्यक प्राथमिक शिक्षा द्वारा भारत में बालिका शिशु शिक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है।

स्कूली बच्चों को यूनिफॉर्म, दोपहर का खाना, शैक्षणिक वस्तु दी जाती है तथा एससी-एसटी जाति की लड़कियों के परिवारों की धन वापसी भी होती है।

प्राथमिक स्कूलों में जाने और छोटी बच्चियों का ध्यान देने के लिए बालवाड़ी-कम-पालना घर को लागू कर दिया गया है।

पिछड़े इलाकों की लड़कियों की आसानी के लिए मुक्त शिक्षा व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।

घोषित किया गया है कि बालिका शिशु के मौके बढ़ाने के लिए लड़कियों के साथ बराबरी का व्यवहार और मौके दिए जाने चाहिए।

ग्रामीण इलाकों की लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए मुख्य नीति के रूप में सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह को आरंभ किया गया है…Next


Read More:

 बॉलीवुड के वो 5 बड़े सितारे, जिन्‍हें आज तक नहीं मिला फिल्‍मफेयर का बेस्‍ट एक्‍टर अवॉर्ड
IPL में हैट्रिक लेने वाले ये हैं टॉप 5 गेंदबाज, करोड़ों में लग सकती है इनकी बोली
नेताजी इस महिला को करते थे बेइंतहा प्यार, खत में लिखा- तुम पहली महिला, जिससे मैंने प्यार किया


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh