गरीबी उसके लिए एक अभिशाप की तरह है जो अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी नहीं जुटा पाता. इस अभिशाप के चलते वो ऐसे काम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं जिसका जमीर उसे इजाजत नहीं देता. वह अपना तन और मन सबकुछ बेचकर पूरी जिंदगी इस अभिशाप से छुटकारा पाने के लिए जद्दोजगह में लगा रहता है.
लेकिन नेपाल के इस गांव के परिवार वाले अपनी भूख मिटाने के लिए नहीं बल्कि एक घर खरीदने के लिए अपनी किडनी बेच रहे हैं. पढ़ने में यह खबर आपको चकित कर रही होगी लेकिन यह वास्तविक है.
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दरअसल नेपाल में हॉक्से नाम का गांव ‘किडनी वैली’ के नाम से प्रसिद्ध है क्योंकि यहां रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अंग तस्करों को अपनी किडनी बेचता हैं. तथा-कथित मानव अंगों के दलाल इस गांव में आते हैं और लोगों को अपनी किडनी बेचने के लिए राजी करते हैं. इसके लिए वह उन्हें दो लाख नेपाली रुपए भी देते हैं.
अंगों के दलाल उन्हें राजी करने के लिए झूट का सहारा लेते हैं. वो गांववालों को बहला फुसलाकर किडनी देने के बाद दोबारा किडनी विकसित हो जाने जैसे झूट सहारा लेते हैं.
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इस बात का खुलासा करते हुए 37 साल की गीता कहती हैं कि उन्होंने दो लाख (नेपली रुपए) में अपनी किडनी बेचा ताकि अपने परिवार के लिए एक जमीन का टुकड़ा खरीद सकें और वहां घर बना सकें. गीता ने ऐसा किया भी लेकिन अप्रैल में आए भूकंप के चलते उसका यह घर खंडहर में तब्दील हो गया. फिलहाल वह एक अस्थाई टेंट में रह रही हैं.
किड़नी बेचने का यह खेल न केवल इस गांव में बल्कि नेपाल के अधिकांश इलाकों में चल रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक नेपाल में आए भूकंप के बाद से नेपाली लोग पैसे के लिए अपने शरीर का अंग बेच रहे हैं….Next
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